Edited By Jyoti,Updated: 07 Sep, 2019 09:57 AM
जापान के सम्राट यामातो के पूर्व मंत्री ओ-चो-सान के परिवार में दो-तीन पीढिय़ों से लोग एक साथ रहते थे। उनके परिवार में लगभग एक हजार सदस्य थे परंतु उनके बीच कभी किसी प्रकार का झगड़ा नहीं होता था।
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जापान के सम्राट यामातो के पूर्व मंत्री ओ-चो-सान के परिवार में दो-तीन पीढिय़ों से लोग एक साथ रहते थे। उनके परिवार में लगभग एक हजार सदस्य थे परंतु उनके बीच कभी किसी प्रकार का झगड़ा नहीं होता था। आसपास इस परिवार की चर्चा थी कि यह परिवार एकता की मिसाल है। परिवार के किसी भी सदस्य पर मुसीबत आने पर सब एक हो जाते थे। यह बात सम्राट यामातो के कानों तक भी पहुंची। सम्राट को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि एक हजार व्यक्तियों का परिवार प्रेमपूर्वक साथ रह सकता है। उन्होंने सोचा कि कही-सुनी बातों पर यकीन करना ठीक नहीं होगा। वह इसकी जांच करने के लिए एक दिन बिना कोई सूचना दिए ओ-चो-सान के घर पहुंचे।
ओ-चो-सान काफी वृद्ध हो गए थे। इसलिए हमेशा घर पर ही रहते थे। उसके घर में सम्राट का काफी स्वागत-सत्कार किया गया। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद सम्राट यामातो ने ओ-चो-सान से कहा, 'जापान के हर एक घर में आपके परिवार की मिसाल दी जाती है। क्या आप बताएंगे कि एक हजार से अधिक व्यक्तियों वाले आपके परिवार में एकता और स्नेह का संबंध किस तरह बना हुआ है?"
ओ-चो-सान वृद्धावस्था के कारण अधिक बातें नहीं कर पाते थे। कुछ बोलते भी थे तो वह बात समझ में नहीं आती थी।
ओ-चो-सान ने सम्राट की बात का जवाब देने के लिए अपने पोते को संकेत से कागज और कलम लाने को कहा। पोता तुरंत कागज व कलम ले आया। इसके बाद ओ-चो-सान ने अपने कांपते हुए हाथों से कुछ शब्द लिखे और फिर कागज सम्राट की ओर बढ़ा दिया। सम्राट ने उत्सुकता से कागज की ओर देखा तो हैरान रह गया। ओ-चो-सान ने पूरे कागज पर एक ही शब्द को बार-बार लिखा था-सहनशीलता, सहनशीलता, सहनशीलता। सम्राट को उत्तर मिल चुका था।