Inspirational Context: इस चीज के आश्रय के बगैर नहीं मिलती किसी को शांति, जानें क्या है वो ?

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Oct, 2023 08:20 AM

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एक राजा राजकाज से मुक्त होना चाहते थे। एक दिन उन्होंने अपने उत्तराधिकारी को राज सिंहासन सौंपा और राजमहल छोड़ चल पड़े। उन्होंने विद्वानों के साथ सत्संग किया, तपस्या की पर

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Inspirational Context: एक राजा राजकाज से मुक्त होना चाहते थे। एक दिन उन्होंने अपने उत्तराधिकारी को राज सिंहासन सौंपा और राजमहल छोड़ चल पड़े। उन्होंने विद्वानों के साथ सत्संग किया, तपस्या की पर उनके मन में शांति नहीं हुई। उदास मन से वह तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। एक दिन चलते-चलते वह काफी थक गए और भूख के कारण निढाल होने लगे। पगडंडी से उतर एक खेत में रुके और एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगे।

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खेत में आए पथिक को देखकर एक किसान उनके पास जा पहुंचा। वह उनका चेहरा देखकर ही समझ गया कि यह व्यक्ति थका होने के साथ ही भूखा भी है।

किसान ने हांडी में उबालने के लिए चावल डाले, फिर राजा से कहा, “उठो, चावल पकाओ। जब चावल पक जाएं तब मुझे आवाज दे देना। हम दोनों इससे पेट भर लेंगे।”

राजा मंत्रमुग्ध होकर किसान की बात सुनता रहा। किसान के जाने के बाद उन्होंने चावल पकाने शुरू कर दिए। जब चावल पक गए तो उन्होंने  किसान को बुलाया और दोनों ने भरपेट चावल खाए। भोजन के बाद किसान काम में लग गया और राजा को ठंडी छांव में गहरी नींद आ गई।

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सपने में उन्होंने देखा कि एक दिव्य पुरुष खड़ा होकर कह रहा है, “मैं कर्म हूं और मेरा आश्रय पाए बगैर किसी को शांति नहीं मिलती। तुम्हें सब कुछ बिना कर्म किए मिल गया है इसलिए तम्हें जीवन से विरक्ति हो रही है। तुम कर्म करो इससे तुम्हें जीवन के प्रति लगाव पैदा होगा।

राजा की आंखें खुल गईं। उन्हें लगा कि उन्हें रास्ता मिल गया।

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