Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 May, 2025 03:00 PM

Sindoor: जब कोई शुभ कार्य जैसे शादी, पूजा, गृह प्रवेश या अन्य किसी धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन होता है, तो सिंदूर का प्रयोग शगुन के रूप में किया जाता है। खासकर विवाह के समय, पति अपनी पत्नी के माथे पर सिंदूर लगाकर उसे अपने जीवन में समृद्धि और खुशी की...
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Sindoor: जब कोई शुभ कार्य जैसे शादी, पूजा, गृह प्रवेश या अन्य किसी धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन होता है, तो सिंदूर का प्रयोग शगुन के रूप में किया जाता है। खासकर विवाह के समय, पति अपनी पत्नी के माथे पर सिंदूर लगाकर उसे अपने जीवन में समृद्धि और खुशी की शुभकामनाएं देता है। सिंदूर का शगुन पूजा या धार्मिक अनुष्ठान के दौरान भी किया जा सकता है। पूजा में सिंदूर का चढ़ावा या फिर उसे देवी-देवताओं के चरणों में चढ़ाकर किया जाता है।

हिंदू धर्म में सिंदूर विवाहित होने की निशानी है तथा इसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए मांग में सजाती हैं। मान्यता है की देवी पार्वती ने अपने पति के मान के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे इसलिए सिंदूर को देवी पार्वती का प्रतीक मान सुहागिन महिलाएं अपने मस्तक पर सजाती हैं और सदा सुहागन रहने का वर देवी से मांगती हैं।
तंत्र एवं धर्म से जुड़े क्रिया-कलापों में सिंदूर बहुप्रचलित सामग्री है। इसका उपयोग सामान्य धार्मिक कर्मों से लेकर गूढ़ तांत्रिक कर्मों तक में किया जाता है। सिंदूर के वैसे तो अनेक प्रयोग हैं परन्तु यहां कुछ सरल एवं शीघ्र फलकारी प्रयोग दिए जा रहे हैं। इनका सविधि एवं श्रद्धापूर्वक प्रयोग करने से अवश्य ही मनोकामना की पूर्ति होगी।

बहुत से लोग घर के मुख्य द्वार पर भी सरसो का तेल और सिंदूर मिला कर स्वस्तिक चिन्ह और शुभ-लाभ लिखते हैं। जिससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार पर सिंदूर और तेल लगाने से घर में निगेटिव शक्तियां प्रवेश नहीं कर सकती और वास्तुदोष भी समाप्त होते हैं।
जिन व्यक्तियों को मंगली दोष है अथवा मंगल के कारण विवाह में विलम्ब अथवा दाम्पत्य सुख में कमी का अनुभव हो रहा हो, तो उन्हें शुक्लपक्ष के मंगलवार को हनुमान जी पर सिंदूर चढ़वाना चाहिए। यह प्रयोग नौ बार करें, तो निश्चय ही सफलता मिलती है।

जिन व्यक्तियों को आए दिन वाहन आदि से दुर्घटना का सामना करना पड़ रहा है, तो उन्हें मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में सिंदूर दान करना चाहिए। इससे शीघ्र ही लाभ मिलता है।
यदि सूर्य अथवा मंगल आपके लिए मारक ग्रह हैं और उनकी दशा अथवा अंतर्दशा चल रही है तो सिंदूर को बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए। ऐसा करने से संबंधित ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है।

यदि प्रतियोगी परीक्षाओं में आप बैठ रहे हैं तो गुरु-पुष्प योग अथवा शुक्लपक्ष में पुष्प योग में गणेश जी के मंदिर में सिंदूर का दान करने से परीक्षा में परिश्रम से अधिक सफलता मिलेगी।
यदि रक्त से संबंधित किसी रोग से आप पीड़ित हैं, तो सिंदूर को अपने ऊपर से उतारकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें, ऐसा करने से रोग में लाभ मिलता है।
अपने घर के मुख्य द्वार के ऊपर सिंदूर चढ़ी हुई गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से घर में सुख-समृद्धि एवं शांति बनी रहती है तथा शत्रुओं द्वारा किसी भी प्रकार के तांत्रिक प्रयोगों के भय से मुक्ति मिलती है।
