Edited By Prachi Sharma,Updated: 06 Mar, 2024 10:51 AM
शेख सादी एक उच्चकोटि के संत और उतने ही बड़े विचारक थे। एक दिन वह कहीं जा रहे थे। रास्ते में एक भिखारी बैठा था। वह बहुत प्रसन्न दिखता था। भिखारी को देख शेख सादी
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Inspirational Story: शेख सादी एक उच्चकोटि के संत और उतने ही बड़े विचारक थे। एक दिन वह कहीं जा रहे थे। रास्ते में एक भिखारी बैठा था। वह बहुत प्रसन्न दिखता था। भिखारी को देख शेख सादी ने सोचा कि वह तो एक संत होकर भी दिन भर उदास रहते हैं, पर वह भिखारी अभाव में जीते हुए भी खुश था। बल्कि वह तो विकलांग भी है। आखिर इसका रहस्य क्या है ?
यह जानने के लिए शेख सादी ने भिखारी से पूछा, “अरे भई ! तुम इतने अभावग्रस्त हो फिर भी प्रसन्न कैसे ?”
भिखारी बोला, “मैं जीवन में अभाव को नहीं देखता। मैं सोचता हूं मेरे पास पैर नहीं तो क्या, ईश्वर ने मुझे दिमाग तो दिया है। मेरे पास आंखें हैं, हाथ हैं। सबसे बड़ी बात कि मेरे पास एक धड़कता जीवन है। इनके होते हुए मुझे धन का या अपने पैरों का अभाव नहीं खटकता।”
भिखारी की इन बातों ने शेख सादी के लिए सुख का रहस्य खोल दिया था। उन्हें इस सत्य का ज्ञान हुआ कि हमें अपने पास उपलब्ध सुखों को भुलाकर हमेशा अभावों के लिए नहीं रोते रहना चाहिए।