Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Jan, 2022 11:46 AM
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शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Inspirational Story: एक सम्राट रात्रि में अपने कक्ष में सोया हुआ था कि अचानक उसे लगा मानो छत पर कोई चल रहा हो। सम्राट चिल्लाया कौन है?
उत्तर मिला, ‘‘चुपचाप सो जाओ, न मैं चोर हूं, न मैं लुटेरा हूं, मेरा हाथी खो गया है, उसी को ढूंढ रहा हूं।
सम्राट को लगा शायद कोई पागल है लेकिन उसकी आवाज में कुछ ऐसा था कि सम्राट रात भर सो नहीं पाया। सुबह उसने पहरेदारों को बुलाया। नगर में उस व्यक्ति को खोजकर लाने को कहा रात्रि में जिसका हाथी खो गया था।
जब राजदरबार लगा था तभी कुछ पहरेदार वहां आए। उन्होंने राजा से कहा कि महल के बाहर एक व्यक्ति बहुत उपद्रव कर रहा है। बड़ी मुश्किल से उसे काबू किया जा सका है। वह आपके राजमहल को धर्मशाला बताता है और कहता है कि इस धर्मशाला में कुछ दिन रुकना है। हमने उसे बहुत समझाया लेकिन वह मानता ही नहीं।
सिंहासन से राजा को बहुत मोह था। उसे लगा कि यह वही आदमी है जो रात में हाथी ढूंढ रहा था। सम्राट ने आदेश दिया कि उसके बंधन खोलकर राजसभा में हाजिर किया जाए। उसके राजसभा में आते ही सम्राट ने पूछा, ‘‘तुम राजमहल को धर्मशाला कहते हो।?’’
व्यक्ति ने उत्तर दिया याद करें जब आप यहां नहीं थे तो इस सिंहासन पर कोई और बैठता था। जब वह भी नहीं था तब इस पर कोई और बैठता था। अब जब मैं फिर कभी आऊंगा तो इस सिंहासन पर कोई और बैठा होगा। अब तुम ही बताओ कि यह राजमहल है या धर्मशाला?
इस सवाल के पीछे छिपे गूढ़ रहस्य को समझकर सम्राट ने तत्काल सिंहासन का परित्याग कर दिया। आगे चलकर यह सम्राट एक महान संत बना।