Edited By Jyoti,Updated: 18 Jan, 2022 03:24 PM
प्राचीन काल में दो संत एक झोंपड़ी में साथ-साथ रहते थे
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Religious Katha: प्राचीन काल में दो संत एक झोंपड़ी में साथ-साथ रहते थे। दोनों प्रतिदिन अलग-अलग गांव की ओर भिक्षा मांगने के लिए जाते थे। इस तरह इनका गुजारा चलता रहा। एक बार दोनों संत भिक्षा मांगने के लिए गए थे। उनमें से एक संत जब अपनी झोंपड़ी की ओर लौटा तो उसने देखा कि आंधी-तूफान आया था। इससे उसकी झोंपड़ी भी आधी टूट गई थी, जिसे देखकर वह संत ईश्वर को कोसने लगा।
संत ने मन ही मन कहा कि मैं रोज भगवान की पूजा करता हूं। मेरी झोंपड़ी तहस-नहस हो गई जबकि दूसरे गांव में चोर-लुटेरों तक का घर सही-सलामत है। यह प्रश्र संत मन ही मन ईश्वर से बार-बार कर रहा था।
कुछ देर बाद दूसरा संत भी झोंपड़ी के पास पहुंचा तो तूफान के कारण टूटी हुई झोंपड़ी को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुआ। खुशी से उस संत ने भगवान का धन्यवाद करते हुए कहा कि मुझे आज विश्वास हो गया कि तू सच्चा है, तेरा प्रेम सच्चा है। हमारी पूजा और भक्ति व्यर्थ नहीं गई है। इस भयंकर तूफान में तुमने मेरी आधी झोंपड़ी बचा ली है। अब हम लोग मेहनत करके झोंपड़ी को पहले से और मजबूत बना लेंगे। यह आधी बची हुई झोंपड़ी आज रात गुजारने के लिए आपने छोड़ दी है। उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। ईश्वर आज मेरा विश्वास आपके ऊपर और बढ़ गया है।
इस प्रसंग का आशय यह है कि हमें हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए। मुसीबत के समय में अगर हम और दुखी होंगे तो निश्चित ही हम अपना मानसिक संतुलन खो बैठेंगे।