एक लंगूर ने की 9 साल तक रेलवे में की नौकरी, पढ़ें अनोखी कहानी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Apr, 2024 08:25 AM

jack the baboon

इतिहास में एक ऐसे लंगूर का नाम दर्ज है, जिसने रेलवे में सिग्नलमैन की नौकरी की, वह भी कुछ दिन या महीने नहीं, बल्कि पूरे 9 साल तक इस लंगूर ने

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इतिहास में एक ऐसे लंगूर का नाम दर्ज है, जिसने रेलवे में सिग्नलमैन की नौकरी की, वह भी कुछ दिन या महीने नहीं, बल्कि पूरे 9 साल तक इस लंगूर ने सिग्नल बदलने का काम किया। कमाल की बात है कि जहां इंसान भी कोई न कोई गलती कर जाता है, वहां इस लंगूर ने अपने पूरे कार्यकाल में एक भी गलती नहीं की। इस बुद्धिमान लंगूर का नाम जैक था।  

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How did Jack become a signalman in the railways ? जैक कैसे बना रेलवे में सिग्नलमैन
जैक दक्षिण अफ्रीका की एक रेलवे कम्पनी के लिए केपटाऊन शहर के पास स्थित उइटेनहेज रेलवे स्टेशन पर काम करता था। जैक लंगूर को यह नौकरी मिलने की कहानी भी दिलचस्प है। सोचने वाली बात है कि कोई कम्पनी किसी लंगूर को इतने जोखिम भरे काम पर कैसे रख सकती है। जैक को रेलवे में नौकरी दिलाने की यह कहानी शुरू हुई 1880 के दशक में। उस दौर में जेम्स एडविन वाइड नामक एक शख्स उइटनेज रेलवे स्टेशन पर सिग्नलमैन के रूप में काम कर रहा था।

उसके जीवन की दशा उस समय बदल गई, जब एक हादसे में उसे अपनी दोनों टांगें गंवानी पड़ीं। वैसे तो वह लकड़ी की नकली टांग के सहारे चल-फिर रहे थे लेकिन इतने सक्षम नहीं थे कि अपने घर से कार्यस्थल तक आसानी से आ-जा सकें। इसी दौरान उन्हें एक दूत के रूप में एक लंगूर दिखा। यह लंगूर पहली ही नजर में किसी का भी ध्यान आकर्षित कर लेने वाला था और एडविन भी उसे पहली बार देख अचंभित हो गए क्योंकि वह बाजार में सामान से भरी हुई बैलगाड़ी चला रहा था। यह किसी के लिए भी हैरान कर देने वाली बात थी कि एक लंगूर बैलगाड़ी चला कर बाजार में सामान सप्लाई कर रहा था।

एडविन उस लंगूर को अपने साथ ले आए और उसका नाम रखा जैक। उन्होंने कुछ दिनों तक जैक को जांचा-परखा और फिर उसे अपना निजी सहायक बनाते हुए उसे उसे ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी। कुछ दिनों में ही जैक घर के काम करने लगा।

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Jack learned everything quickly जैक तेजी से सीखता था हर काम
उसके अनेक कामों में जेम्स को छोटी ट्राली में बैठाकर रेलवे स्टेशन लाना-ले जाना भी शामिल था। बात यहां तक पहुंच गई कि कुछ ही दिनों में जैक जेम्स द्वारा रेलवे स्टेशन पर किए जाने वाले सिग्नलिंग के काम के गुर भी सीख गया। एडविन ने जैक की ट्रेनिंग बढ़ा दी, जिसके बाद वह इतने अच्छे तरीके से प्रशिक्षित हो गया कि एक सिग्नलमैन का पूरा काम अच्छे से करने लगा। हालांकि, एक लंगूर द्वारा रेलवे के ऐसे काम करना यात्रियों के लिए जोखिम भरा कदम साबित हो सकता था।

एडविन लंगूर को ज्यादा दिन छुपा कर भी काम नहीं करा सकता था। फिर वह दिन आ ही गया जब एक दिन एक ट्रेन के यात्री ने खिड़की से एक लंगूर को सिग्नल पर गियर्स बदलते देख लिया। यात्री को यह बात सही नहीं लगी और उसने तुरंत रेलवे कम्पनी के अधिकारियों से चिट्ठी लिख इसकी शिकायत कर दी।

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Officials took test of Jack जैक का अधिकारियों ने लिया टैस्ट
शिकायत मिलते ही रेल अधिकारी मामले की जांच करने पहुंचे लेकिन वे यह देख कर हैरान रह गए कि जैक लंगूर एक प्रशिक्षित सिग्नलमैन की तरह ही काम कर रहा था। इसके बाद जैक का वैसे ही टैस्ट लिया गया जैसे एक इंसान का सिग्नलमैन की पोस्ट के लिए लिया जाता था। कमाल की बात थी कि जैक परीक्षा में पास हो गया। जैक सिग्नल से जुड़े हर काम को अच्छे से जानता था, साथ ही काफी मेहनत और सतर्कता भी बरतता था।

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Jack worked in Railways for 9 years, got salary जैक ने 9 साल किया रेलवे में काम, मिलता था वेतन
उसके ये सारे गुण देखते हुए रेलवे कम्पनी ने जैक को रेलवे में सिग्नलमैन बना लिया। इसके साथ ही सैलरी के रूप में रोजाना 20 सेंट के साथ उसे साप्ताहिक बीयर की आधी बोतल का भुगतान किया जाना भी तय हुआ। इसके बाद जैक ने उस रेलवे कम्पनी के लिए 1881 से लेकर 1890 तक सिग्नलमैन के तौर पर काम किया। खास बात यह रही कि इस अवधि में उसने एक भी गलती नहीं की। 1890 में भी उसकी नौकरी न जाती, अगर तपेदिक के कारण उसकी मौत न हुई होती।

जैक की बुद्धि और उसके सीखने की लगन देखते हुए उसकी मृत्यु के बाद उसकी खोपड़ी को दक्षिण अफ्रीकी शहर ग्राहमस्टाऊन के अल्बानी संग्रहालय में रख दिया गया। इसके अलावा उइटेनहेज रेलवे स्टेशन की एक दीवार को जैक और उसके साथी जेम्स वाइड को समर्पित किया गया है।

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