Janmashtami 2022: विशेष आभूषणों से हो रहा है सिंधिया कालीन मंदिर में राधा कृष्ण का श्रृंगार

Edited By Jyoti,Updated: 18 Aug, 2022 11:37 AM

janmashtami 2022

अपनी प्राण प्रतिष्ठा की 100वीं सालगिरह मना रहे ग्वालियर के फूलबाग स्थित सिंधिया कालीन मंदिर में मौजूद राधा कृष्ण की मूर्तियों को जन्माष्टमी पर खास जेवरातों से सजाया जा रहा है। प्रतिमाओं को रत्न जडित आभूषणों से सुसज्जित किया जा रहा है जो

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अपनी प्राण प्रतिष्ठा की 100वीं सालगिरह मना रहे ग्वालियर के फूलबाग स्थित सिंधिया कालीन मंदिर में मौजूद राधा कृष्ण की मूर्तियों को जन्माष्टमी पर खास जेवरातों से सजाया जा रहा है। प्रतिमाओं को रत्न जडित आभूषणों से सुसज्जित किया जा रहा है जो एंटिक हैं और इनकी कीमत का आकलन लगभग 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। इन आभूषणों में हीरे-मोती, पन्ने जैसे बेशकीमती रत्नों से सुसज्जित भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के मुकुट और अन्य आभूषण हैं। लोक मत है कि देश की आजादी से पहले तक भगवान इन जेवरातों से श्रृंगारित रहते थे। तो आइए जानते हैंइस मंदिर से जुड़ी और खास बातें- 
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वर्षों बैंक लॉकर में कैद रहे आभूषण
बताया जाता है जब 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ। सिन्धिया रियासत खत्म हो गई तो जेवरात सिंधिया के खजाने से निकलकर ट्रेजरी में चले गए और वहां से सरकार ने बैंक के लॉकर में रखवा दिया। इसके बाद इन्हें निकालना बन्द कर दिया गया। लेकिन 2007 में जब विवेक नारायण शेजवलकर मेयर बने तो उन्होंने इस पर कार्यवाही शुरू कर इन्हें जन्माष्टमी पर निकलवाकर मथुरा और वृंदावन से विशेषज्ञ सुनार बुलाकर इनका संधारण कराया और लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर इनसे भगवान का जन्माष्टमी पर श्रृंगार करवाया। ये तब से नगर निगम की देखरेख में आए और तभी से लेकर हर जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं को ये बेशकीमती जेवरात पहनाए जाते हैं, जन्माष्टमी के दिन सुरक्षा व्यवस्था के बीच इन जेवरातों को बैंक के लॉकर ले निकलकर राधा और गोपाल जी का श्रृंगार किया जाता है। 

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100 वर्ष पुराना है मंदिर 
इस मंदिर के पुजारी पीढ़ी दर पीढ़ी कार्यरत है। पुजारी प्रदीप सरवटे का कहना है कि फूल बाग स्थित गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने की थी। उन्होंने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्न जडित सोने के आभूषण भी  बनवाए थे और इन्हें मंदिर को ही समर्पित कर दिए थे। इन आभूषणों में राधा कृष्ण के लिए 55 पन्नों और सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन हैं। जन्माष्टमी पर इन रत्नों जड़ित जेवरातों से राधा कृष्ण का श्रृंगार किया जाता है। इस बार भी 24 घंटे तक राधा-कृष्ण इन जेवरातों से श्रृंगारित रहते हैं। श्रद्धालु भगवान और राधा रानी के इस स्वरूप को देखने के लिए भक्त सालभर का इंतजार करते हैं। यही कारण  है कि जन्माष्टमी पर सुबह से ही भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा रहता है. इनमें देशी ही नही विदेशी भक्त भी शामिल रहते हैं।
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कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
मंदिर में श्रृंगार के लिए आए  बहुमूल्य रत्नजड़ित  गहनों और भक्तों की सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल भी तैनात किया जाता है मंदिर के अंदर और बाहर की सुरक्षा के लिए करीब 200 जवान तैनात किए गए  हैं। वर्दीधारियों के साथ ही सादा वर्दी में सुरक्षा अमला तैनात है। CSP स्तर के राजपत्रित पुलिस अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करते हैं। गोपाल जी का यह ऐतिहासिक मंदिर ग्वालियर के फूल बाग परिसर में है। इसके एक ओर गुरुद्वारा है, दूसरी और मोती मस्जिद. सांप्रदायिक सदभाव के प्रतीक इस मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने कराया था। भक्तों का कहना है कि जन्माष्टमी पर पूर्ण श्रृंगारित भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को निहारना मन को बहुत भाता है वही इस मंदिर में आने के बाद एक अलग तरह की शांति की अनुभूति होती है।
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