जब भक्त कबीरदास ने बताई लड़के को एक साड़ी की कीमत

Edited By Lata,Updated: 24 Jan, 2020 12:01 PM

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भक्त कबीर दास स्वभाव से शांत थे। कोई कुछ भी करे, वह क्रोधित नहीं होते थे। एक

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भक्त कबीर दास स्वभाव से शांत थे। कोई कुछ भी करे, वह क्रोधित नहीं होते थे। एक बार कुछ लड़कों को शरारत सूझी। वे सब कबीर दास के पास यह सोचकर पहुंचे कि देखें उन्हें गुस्सा कैसे नहीं आता। उनमें एक लड़का धनवान था। वहां पहुंचकर वह बोला, ''यह साड़ी कितने की दोगे? कबीर ने कहा, ''10 सिक्कों की। तब लड़के ने उन्हें चिढ़ाने के उद्देश्य से साड़ी के 2 टुकड़े कर दिए और एक टुकड़ा हाथ में लेकर बोला, ''मुझे पूरी साड़ी नहीं चाहिए, आधी चाहिए। इसका क्या दाम लोगे?
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भक्त कबीर ने बड़ी शांति से कहा, ''5 सिक्के। इतना सुनते ही उस लड़के ने उस टुकड़े के भी 2 भाग किए और दाम पूछा। कबीर अब भी शांत थे। उन्होंने बताया, ''अढ़ाई सिक्के। लड़का इसी प्रकार साड़ी के टुकड़े करता गया और साथ-साथ साड़ी का दाम भी पूछता गया। अंत में बोला, ''अब मुझे यह साड़ी नहीं चाहिए। ये टुकड़े मेरे किस काम के? कबीर ने शांत भाव से कहा, ''बेटे! अब ये टुकड़े तुम्हारे तो क्या, किसी के भी काम के नहीं रहे। अब लड़के को शर्म आई और वह बोला, ''मैंने आपका नुक्सान किया है। मैं आपकी साड़ी का दाम दे देता हूं। संत कबीर ने कहा, ''जब आपने साड़ी ली ही नहीं, तब मैं आपसे उसके पैसे कैसे ले सकता हूं?
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लड़के का अभिमान जागा और वह कहने लगा, ''मैं बहुत अमीर आदमी हूं। तुम गरीब हो। मैं सिक्के दे दूंगा तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर तुम यह घाटा कैसे सहोगे? और नुक्सान मैंने किया है तो घाटा भी मुझे ही पूरा करना चाहिए। संत कबीर मुस्कुराते हुए कहने लगे, ''तुम यह घाटा पूरा नहीं कर सकते। सोचो, किसान ने कपास पैदा की, मेरी स्त्री ने कपास से सूत काता। मैंने उसे रंगा और बुना। मेहनत तभी सफल होती, जब इसे कोई पहनता। पर तुमने उसके टुकड़े-टुकड़े कर डाले। सिक्कों से यह घाटा कैसे पूरा होगा? लड़का शर्म से पानी-पानी हो गया।

 

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