Edited By Lata,Updated: 12 Dec, 2019 10:56 AM
हिंदू धर्म में हर शुभ काम की शुरुआत करने से पहले शुभ समय देखा जाता है। तभी उस कार्य को किया जाता है।
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हिंदू धर्म में हर शुभ काम की शुरुआत करने से पहले शुभ समय देखा जाता है। तभी उस कार्य को किया जाता है। इसके पीछे का कारण है कि उस काम में कोई रुकावट न आए और अच्छे से पूरा हो जाए। वहीं शादी-ब्याह के लिए शास्त्रों में सूर्य का मजबूत होना जरूरी बताया गया है। लेकिन जब सूर्य मीन या धनु राशि में चला जाता है तो इसकी स्थिति कमजोर हो जाती है। इस दौरान शादी जैसे शुभ कामों पर रोक लग जाती है। बता दें कि मलमास जिसे पुरुषोत्तम माह भी कहा जाता है, इसके आ जाने पर सारे शुभ कामों पर रोक लग जाती है और इस साल ये आज से शुरू होकर, 14 जनवरी 2020 तक चलेगा। इसके साथ ही इस मास को मलिन मास या अधिक मास भी कहा जाता है। चलिए आगे जानते हैं इस दौरान कौन से काम करने चाहिए और कौन से नहीं। इसके साथ ही इससे जुड़ी कथा को जानते हैं।
पौराणिक कथा
प्रत्येक राशि, नक्षत्र, करण व चैत्रादि बारह मासों के सभी के स्वामी है, परंतु मलमास का कोई स्वामी नही है। अत: अधिक मास में समस्त शुभ कार्य, देव कार्य तथा पितृ कार्य वर्जित माने गए है। अधिक मास यानी मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की बड़ी ही रोचक कथा पुराणों में दी गई है। इस कथा के अनुसार, स्वामी विहीन होने के कारण अधिक मास को ‘मलमास’ कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी। इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनके सामने अपना दुखड़ा रोने लगा।
भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुंचे, वहां श्रीकृष्ण विराजमान थे। करुणासिंधु भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया- अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं। इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में शामिल हो जाएंगे। मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं। आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे। इसीलिए प्रति तीसरे वर्ष में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा। इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिक मास/मलमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया। अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान एवं दान करने वाले को कई पुण्य फलों की प्राति होती है।
क्या करें
मलमास में जप, तप, तीर्थ यात्रा, करने का महत्व होता है। अगर हो सके तो इस मास में हर दिन भागवत कथा सुनें और दान-पुण्य के काम करें।