Edited By Lata,Updated: 30 Aug, 2019 11:11 AM
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल पितृ पक्ष 13 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। हिंदू धर्म में इसका एक खास महत्व होता है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल पितृ पक्ष 13 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। हिंदू धर्म में इसका एक खास महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार पितर पक्ष पर पितरों का तर्पण व उन्हें ऊर्जा देने के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। कहते हैं कि अगर आपके पितर नाराज़ हो जाए तो आपके घर पर कई तरह की बाधाएं पैदा हो सकती हैं। जिससे कि घर के कई काम रुक जाते हैं। ज्योतिष अनुसार भी कुंडली में पितृ दोष काफी महत्व रखता है। इसलिए पितरों को मनाने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध करने आवश्यक होते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान कोई भी नया काम शुरु नहीं किया जाता और न ही नए वस्त्रों की खरीदारी होती है। आइए जानते हैं कब-कब पड़ रही है श्राद्ध की तिथियां।
श्राद्ध तिथि
13 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
14 सितंबर- प्रतिपदा
15 सितंबर- द्वितीया
16 सितंबर– तृतीया
17 सितंबर- चतुर्थी
18 सितंबर- पंचमी, महा भरणी
19 सितंबर- षष्ठी
20 सितंबर- सप्तमी
21 सितंबर- अष्टमी
22 सितंबर- नवमी
23 सितंबर- दशमी
24 सितंबर- एकादशी
25 सितंबर- द्वादशी,
26 सितंबर- त्रयोदशी
27 सितंबर चतुर्दशी- मघा श्राद्ध,
28 सितंबर- सर्वपित्र अमावस्या
श्राद्ध विधि
श्राद्ध वाले दिन सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लिपकर व गंगाजल से पवित्र कर लें।
घर की महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाने की तैयारी करें। लेकिन ध्यान रहे कि भोजन बिना प्याज व लहसून के ही होना चाहिए। इसके बाद ब्राहम्ण को घर पर बुलाकर या मंदिर में पितरों की पूजा और तर्पण का कार्य कराएं।
पितरों के समक्ष अग्नि में गाय का दूध, दही, घी और खीर अर्पित करें। उसके बाद पितरों के लिए बनाए गए भोजन के चार ग्रास निकालें जिसमें एक हिस्सा गाय, एक कुत्ते, एक कौए और एक अतिथि के लिए रखें। गाय, कुत्ते और कौए को भोजन डालने के बाद ब्राहम्ण को आदरपूर्वक भोजन कराएं, उन्हें वस्त्र और दक्षिणा दें। ब्राहम्ण में आपका दामाद या भतीजा भी हो सकता है।
यदि कोई व्यक्ति किसी कारणों से बड़ा श्राद्ध नहीं कर सकता तो उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ अपने सामर्थ्य अनुसार उपलब्ध अन्न, साग-पात-फल और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को आदर भाव से दे देनी चाहिए।
श्राद्ध मंत्र
श्राद्ध पक्ष के दिनों में इस मंत्र का जाप करना चाहिए- ।।ऊॅं नमो भगवते वासुदेवाय।। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन श्राद्ध की शुरूआत और समापन में इस मंत्र का जाप करें- ।।देवताभ्यः पितृभ्य श्च् महायोगिभ्यन एव च। नमः स्वा्हायै स्व धायै नित्ययमेव भवन्युव त।।