4 जुलाई को होगी विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ यात्रा, जानें इसका धार्मिक महत्व

Edited By Jyoti,Updated: 15 Jun, 2019 02:04 PM

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हिंदू धर्म शास्त्रों में श्री हरि विष्णु के कुल 24अवतारों के बारे में बताया गया है, जिनमें से एक है भगवान जगन्नाथ। हर साल जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यात्रा आयोजित की जाती है।

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हिंदू धर्म शास्त्रों में श्री हरि विष्णु के कुल 24अवतारों के बारे में बताया गया है, जिनमें से एक है भगवान जगन्नाथ। हर साल जगन्नाथ पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यात्रा आयोजित की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह रथ यात्रा प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। इस साल यह यात्रा 03 जुलाई से आरंभ होगी जिसका समापन 04 जुलाई को होगा। मगर क्या आप जानते हैं कि आख़िर ये यात्रा शुरू कैसे हुई और इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है। अगर आपका उत्तर भी नहीं है तो चलिए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी जानकारी जो आपको इन सवालों का जवाब देगा। 

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कुछ मान्यताओं के अनुसार जगन्नाथ रथ यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर में जाते हैं। यह रथ यात्रा न केवल भारत में ही बल्कि दुनियाभर में एक प्रसिद्ध पर्व के रूप में मनाई जाती है। विश्वभर के श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेन आते हैं। बता दें कि रथ यात्रा से ठीक एक दिन पहले गुंडिचा माता मंदिर की भगवान जगन्नाथ के आराम हेतु अच्छे से साफ़-सफ़ाई की जाती है, जिसे गुंडिचा मार्जन कहा जाता है। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि मंदिर की सफ़ाई के लिए जल इन्द्रद्युम्न सरोवर से लाया जाता है। कहा जाता है कि पुरी का जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में एक बार जगन्नाथ मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए। 

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भगवान जगन्नाथ की भव्य और विशाल रथ यात्रा पुरीकी सड़कों पर बड़ी ही धूम-धाम से निकाली जाती है। यात्रा में भगवान बलभद्र का रथ सबसे आगे रहता है, इसे तालध्वज कहा जाता है। बीच में देवी सुभद्रा का रथ, जिसे दर्पदलन व पद्म रथ कहा जाता है। यात्रा में सबसे अंत में चलने वाले भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदी घोष व गरुड़ ध्वज कहा जाता है। इस रथ यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही पख से अधिक महत्व है। धार्मिक दृष्टिकोण से पुरी की यह रथ यात्रा विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। हिन्दू धर्म की आस्था का मुख्य केंद्र के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। कहते हैं जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा के साथ इस रथ यात्रा में शामिल होता है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें इस रथ यात्रा को पुरी कार फेस्टिवल के नाम से भी जाना जाता है।
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