रथ की तरह दिखाई पड़ने वाले इस मंदिर का रहस्य है दिलचस्प

Edited By Jyoti,Updated: 22 Jun, 2022 05:08 PM

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हिंदू धर्म से जुड़े मंदिर व धार्मिक स्थल न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिलत हैं। कहा जाता है भारत के साथ-साथ विदेशों में भी ऐसे कई तीर्थस्थल पाए जाते हैं जहां लोग दूर दूर से पहुंचते हैं। बात करें देश

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हिंदू धर्म से जुड़े मंदिर व धार्मिक स्थल न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिलत हैं। कहा जाता है भारत के साथ-साथ विदेशों में भी ऐसे कई तीर्थस्थल पाए जाते हैं जहां लोग दूर दूर से पहुंचते हैं। बात करें देश में स्थित मंदिरो की तो यहां स्थित प्रत्येक मंदिर अपने आप में रहस्य लिए होता है और यही रहस्य इन्हें विशेष बनाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका रहस्य बेहद दिलचस्प है। तो आइए जानते हैं कौन सा है ये मंदिर, कहां है स्थित, व क्या है इसकी खासियत-
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दरअसल हम बात कर रहे हैं उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर की, जो बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी है। बता दें यह मंदिर उत्तर पूर्वी किनारे पर समुद्र तट के करीब स्थित है। ऐसा लोक मत है कि कोणार्क सूर्य मंदिर को पहले समुद्र के किनारे बनाया गया था लेकिन धीरे-धीरे समुद्र के कम होने से मंदिर भी समुद्र किनारे से थोड़ा दूर होता गया। यहां प्रचलित मान्यताओं की मानें तो मंदिर के गहरे रंग के कारण इसे काला पगोड़ा के नाम से भी जाना जाता है।

मंदिर का निर्माण-
यहां के लोगों का कहना है 1950 ई में इस मंदिर का निर्माणपूर्वी गंगा साम्राज्य के महाराजा नरसिंहदेव द्वारा करवाया गया था, जिसका आकार अन्य मंदिरों से बेहद विभिन्न है, बता दें ये मंदिर सूर्य के रथ के आकार जैसा दिखाई पड़ता है। इस बेहद अनोखे व सुंदर मंदिर में कीमती धातुओं के पहिए, पिल्लर और दीवारें निर्मित हैं।

विश्व की प्रसिद्ध धरोहर में शामिल-
आपको जानकारी के लिए बात दें कि उड़ीसा के प्रांत में स्थित इस सूर्य मंदिर को विश्व की प्रसिद्ध धरोहर में से एक माना जाता है। यूनैस्को द्वारा भी इसे ऐतिहासिक पुरातन धरोहरों में शामिल किया गया है।
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कहा जाता है अपनी शिल्पकला, स्थापत्य कला, मूर्तिकला, अद्भुत नक्काशी के लिए प्रसिद्ध कोणार्क में स्थित इस सूर्य मंदिर का अस्तित्व है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जहां एक तरफ़ सूर्य देव को ग्रहो के राजा कहा जाता है तों वही दूसरी ओर सूर्य देव को कुष्ठ रोग के निवारण के लिए तथा शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाले देवता का दर्जा प्राप्त है। बताया जाता है  प्राचीन काल से सूर्य उपासना एक महत्वपूर्ण कर्म रहा है। कथाओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग हो गया था। तब इससे निवारण के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने खुद साम्ब को सूर्य उपासना का निर्देश दिया था।

मंदिर का रहस्य
बताया जाता है इस मंदिर में 1 नहीं बल्कि तीन मूर्तियां स्थापित है, जो इस मंदिर को बेहद खास बनाती है। बता दें ये मूर्तियां कुछ इस प्रकार है- बाल्यावस्था उदित सूर्य की ऊंचाई 8 फीट है। युवावस्था जिसे मध्याह्न सूर्य कहा जाता है और इसकी ऊंचाई 9.5 फीट है जबकि तीसरी अवस्था है प्रौढ़ावस्था जिसे अस्त सूर्य भी कहा जाता है, जिसकी ऊंचाई 3.5 फीट है।

कोणार्क मंदिर में कोई मूर्त नहीं है, यही इस मंदिर की खासियत है। यह मंदिर चारों ओर से पक्के घेरे के अंदर है जो सरोवर की तरह है। यह मंदिर 1200 शिल्पियों की कड़ी मेहनत से 12 साल में लाखों रुपयों के खर्चे के बाद बनाया गया है। कोणार्क मंदिर में 7 घोड़े हैं तथा सारथी का स्थान भी बना है जो काफी ऊंचाई पर स्थित है।

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