Edited By Jyoti,Updated: 06 Nov, 2021 04:05 PM

कार्तिक मास चल रहा है, जिस माहे में हिंदू धर्म के कई खास पर्व व त्यौहार पड़ते हैं। इसलिए इस मास में विभिन्न प्रकार से पूजा पाठ आदि करते हैं।
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कार्तिक मास चल रहा है, जिस माहे में हिंदू धर्म के कई खास पर्व व त्यौहार पड़ते हैं। इसलिए इस मास में विभिन्न प्रकार से पूजा पाठ आदि करते हैं। परंतु जाने अनजाने में इस दौरान लोग कई तरह के गलतियां हो जाती हैं। ऐसे में पूजा का फल अधूरा हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति को क्या करना चाहिए, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो अगर आपको भी नहीं पता तो चलिए हम आपको बताते हैं कि ऐसे में व्यक्ति को क्या करना चाहिए।
धार्मिक शास्त्रों में समस्त देवी-देवताओं की पूजा मंत्र दिए गए हैं, जिनका विशेष रूप से जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। तो वहीं ज्योतिष शास्त्र में पूजा से जुड़ी सभी क्रियाओं के लिए कई तरह के मंत्र बताए गए। इन्हीं मंत्रों में से एक मंत्र है क्षमा याचना मंत्र। शास्त्रों में बताया गया है इस मंत्र का जप करने से पूजा में हुई जाने-अनजाने की गलतियों की क्षमा मिलती है। ऐसा माना जाता है कि अगर पूजा में हुई गलतियों के लिए इस मंत्र का उच्चारण कर लिया जाए तो देवी-देवता उन गलतियों के लिए क्षमा मिलती है और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
तो आइए जानते हैं इस क्षमायाचना मंत्र के बारे में-
क्षमायाचना मंत्र-
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्। पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्मतु।
अर्थ-
इस मंत्र के जरिए जातक प्रार्थना करता है और कहता है हे प्रभु, न मैं आपको बुलाना जानता हूं और न विदा करना जानूं, न आपकी पूजा करना जानता हूं। आप अपनी कृपा करके मुझे क्षमा करें। मुझे न मंत्र याद है और न ही क्रिया, मैं आपकी भक्ति करना नहीं जानता। यथा संभव पूजा कर रहा हूं, कृपा करके मेरी भूलों को क्षमा करें तथा इस पूजा को पूर्णता प्रदान करें।
धार्मिक शास्त्रों में इस परंपरा का आशय यह बताया गया है कि भगवान हर जगह है, उन्हें न आमंत्रित करना होता है और न विदा करना। यह जरूरी नहीं कि पूजा पूरी तरह से शास्त्रों में बताए गए नियमों के अनुसार ही हो, मंत्र और क्रिया दोनों में चूक हो सकती है। इसके बावजूद चूंकि मैं भक्त हूं और पूजा करना चाहता हूं, मुझसे चूक हो सकती है, लेकिन भगवान मुझे क्षमा करें। मेरा अहंकार दूर करें, क्योंकि मैं आपकी शरण में हूं।