Edited By Sarita Thapa,Updated: 17 Dec, 2025 04:17 PM
सनातन धर्म में गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भक्त सच्चे मन से श्रीहरि की आराधना करते हैं, उनके जीवन से आर्थिक तंगी, मानसिक अशांति और वैवाहिक जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
Vishnu Mantra : सनातन धर्म में गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भक्त सच्चे मन से श्रीहरि की आराधना करते हैं, उनके जीवन से आर्थिक तंगी, मानसिक अशांति और वैवाहिक जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करना और उनकी असीम कृपा पाना न केवल हमारे कर्मों पर, बल्कि हमारे द्वारा किए गए उच्चारणों और मंत्रों की शक्ति पर भी निर्भर करता है। शास्त्रों के अनुसार, मंत्र वह माध्यम है जो भक्त को सीधे परमात्मा की ऊर्जा से जोड़ता है। यदि आप भी अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं, तो गुरुवार के दिन कुछ विशेष मंत्रों का जाप आपके लिए चमत्कारी सिद्ध हो सकता है। तो आइए जानते हैं, भगवान विष्णु के उन शक्तिशाली मंत्रों के बारे में-
विष्णु मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥
विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः॥
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

श्री जगदीशजी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे...
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे...
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे...

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