Lala Lajpat Rai Birth Anniversary: ये हैं ‘लाला लाजपत राय’ के जीवन से जुड़े खास पहलू

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Jan, 2023 05:33 AM

lala lajpat rai birth anniversary

देश के लिए प्राण न्यौछावर कर युवा पीढ़ी और क्रांतिकारियों में नई शक्ति का संचार करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी और ‘पंजाब केसरी’ के नाम से मशहूर लाल, पाल, बाल की क्रांतिकारी तिकड़ी में से एक लाला लाजपतराय जी का जन्म 28 जनवरी, 1865 को पंजाब के...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Lala Lajpat Rai jayanti: देश के लिए प्राण न्यौछावर कर युवा पीढ़ी और क्रांतिकारियों में नई शक्ति का संचार करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी और ‘पंजाब केसरी’ के नाम से मशहूर लाल, पाल, बाल की क्रांतिकारी तिकड़ी में से एक लाला लाजपतराय जी का जन्म 28 जनवरी, 1865 को पंजाब के जगराओं के पास गांव ढूढीके में राधा कृष्ण जी के घर माता गुलाब देवी की कोख से हुआ। पिता जी अध्यापन का कार्य करते थे और शुद्ध विचारों वाले धार्मिक प्रवृत्ति के बहुत ही विद्वान व्यक्ति थे, जिसका पूरा प्रभाव बालक लाजपतराय पर पड़ा। इनकी उच्च शिक्षा लाहौर में हुई। वकालत की परीक्षा पास करने के बाद जब पिता का तबादला हिसार हो गया तो वहीं वकालत करने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भाग लेने लगे।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

Lala lajpat rai movements in which they participated:
लोगों से मेल-जोल और सामाजिक कार्यों के कारण कई वर्ष तक वहां म्यूनिसिपल बोर्ड के अध्यक्ष रह कर जनता की सेवा करते रहे। माता-पिता से मिले संस्कारों के कारण बचपन से निर्भीक और साहसी लाजपत राय ने देश को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करवाने के लिए क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया, जिस पर अंग्रेजों ने इन्हें गिरफ्तार कर बर्मा की मांडले जेल में बंद कर दिया।
रिहाई के बाद 1914 में कांग्रेस के एक डैपुटेशन में पहले इंगलैंड और फिर वहां से जापान चले गए परंतु इसी दौरान प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो गया और अंग्रेज हुकूमत ने इनके भारत आने पर रोक लगा दी। तब फिर जापान से अमरीका चले गए और वहां रहकर देश को आजाद करवाने के लिए प्रयास करने लगे।

Lala lajpat rai famous for: विश्व युद्ध की समाप्ति पर स्वदेश लौट कर देश को आजाद करवाने के लिए फिर से सक्रिय हो गए और उन दिनों चल रहे असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया, जिससे कांग्रेस पार्टी में इनका कद बढ़ने लगा और वरिष्ठ नेता के रूप में उभर कर सामने आए। इनकी वरिष्ठता के कारण ही कोलकाता में 1920 में हुए कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में प्रधान चुन लिया गया।

अब इन्होंने और अधिक सक्रियता से क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया और इसके साथ-साथ युवाओं को शिक्षित और देशभक्ति से ओतप्रोत करने के लिए इन्होंने अपनी जेब से 40,000 रुपए देकर अपने मित्र के सहयोग से लाहौर में ही ‘दयानंद एंग्लो विद्यालय’ की स्थापना की।

लाला जी हमेशा अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों का विरोध करते और यही कारण था कि 1928 में देशवासियों की भावनाओं को कुचलने वाला काला कानून लादने की अंग्रेजों की कोशिश का जब पूरे देश मे जबरदस्त विरोध हो रहा था तो 63 वर्षीय लाजपत राय जी ने लाहौर में विरोध की कमान खुद संभाल ली।

Lala lajpat rai died in which movement: 30 अक्तूबर के दिन ‘साइमन कमीशन’ के लाहौर पहुंचने पर लाला जी के नेतृत्व में हजारों देशवासियों ने विशाल जुलूस निकाल कर स्टेशन पर ‘साइमन गो बैक’ के नारों से साइमन कमीशन को ललकारा, जिससे क्षुब्ध होकर पुलिस कप्तान स्काट ने लाठीचार्ज का आदेश दे दिया।

उसने स्वयं लाला जी पर लाठियां बरसाईं जिससे वह बुरी तरह घायल हो गए। इसके बावजूद जनसभा को संबोधित करते हुए घोषणा की कि ‘‘मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी अंग्रेजी हुकूमत के राज में आखिरी कील साबित होगी।’’

लाला जी को अस्पताल ले जाया गया परंतु वह स्वस्थ न हो सके और 17 नवम्बर, 1928 को आजादी के लिए लड़ने वाले इस शेर ने स्वतंत्रता संग्राम के हवन रूपी यज्ञ में प्राणों की आहुति डाल दी।

PunjabKesari kundli

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!