मां लक्ष्मी का ऐसा मंदिर, जहां एक सिक्के से होती है हर इच्छा पूरी

Edited By Lata,Updated: 24 Jan, 2020 03:07 PM

maa laskhmi temple

शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा का दिन होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि एगर किसी व्यक्ति को धन

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शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा का दिन होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि एगर किसी व्यक्ति को धन से जुड़ी कोई परेशानी होती है तो मां लक्ष्मी की आराधना करने से वे पूरी हो जाती है। कहते हैं कि शुक्रवार के दिन मां के मंदिर में जाकर आराधना करने से इंसान की हर इच्छा पूरी होत है। ऐसे ही आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बहुत प्राचीन है।
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माता लक्ष्मी का ये मंदिर मुंबई के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। अरब सागर के किनारे भूलाभाई देसाई मार्ग पर स्थित यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। महालक्ष्मी मंदिर समुद्र के बिल्कुल करीब स्थित है। बता दें कि यहां मां लक्ष्मी की प्रतिमा के साथ-साथ महाकाली एवं महासरस्वती तीनों देवियों की प्रतिमाएं एक साथ विराजमान है। तीनों प्रतिमाओं को सोने की नथ, सोने की चूड़ियां एवं मोतियों के हार से बड़ी ही सुंदरता से सजाया गया है।
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मंदिर के निर्माण की कथा बहुत ही रोचक है। मान्यता है कि अंग्रेजों ने जब महालक्ष्मी क्षेत्र को वर्ली क्षेत्र से जोड़ने के लिए ब्रीच कैंडी मार्ग को बनाने की योजना बनाई, तब समुद्र की तूफानी लहरों के कारण उनकी पूरी योजना खटाई में पड़ती जा रही थी। सैकड़ों मजदूर इस दीवार के निर्माण कार्य में लगे हुए थे, मगर हर दिन कोई न कोई बाधा आ रही थी। उस समय देवी लक्ष्मी एक ठेकेदार रामजी शिवाजी के सपने में आईं। देवी ने कहा,‘वर्ली में समुद्र के किनारे मेरी एक मूर्ति है। उस मूर्ति को वहां से निकाल कर समुद्र के किनारे ही मेरी स्थापना करो। ऐसा करने से हर बाधा दूर हो जाएगी।'
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रामजी ने ऐसा ही किया और इसके बाद ब्रीच कैंडी मार्ग का निर्माण संपन्न हुआ। तब यहां महालक्ष्मी का छोटा-सा मंदिर बनवा दिया गया। बाद में 1831 में धाकजी दादाजी नाम के एक व्यवसायी ने मंदिर को बड़ा स्वरूप दिया और परिसर का जीर्णोद्धार कराया गया। दिन भर मंदिर आने वाले भक्त महालक्ष्मी की वास्तविक प्रतिमा नहीं देख पाते, क्योंकि वास्तविक प्रतिमा को आवरण से ढक दिया गया है। बताया जाता है कि असली प्रतिमा को देखने के लिए रात को यहां आना पड़ता है। रात के लगभग 9.30 बजे वास्तविक प्रतिमा से आवरण थोड़ी देर के लिए ही हटाया जाता है। इसलिए यहां देर रात भी श्रद्धालु अच्छी संख्या में पहुंचते हैं।
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मंदिर में एक दीवार है, जहां भक्तगण अपनी मनोकामनाओं के साथ सिक्के चिपकाते हैं। आश्चर्य की बात है कि यहां दीवार पर सिक्के आसानी से चिपक भी जाते हैं। ऐसे करने से भक्तों की हर इच्छा को मां लक्ष्मी पूर्ण करती हैं।

 

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