Maha shivaratri 2020: आइए करें, श्री सोमनाथ की मानसिक यात्रा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Feb, 2020 02:33 PM

maha shivaratri 2020

आस्था एवं भक्ति का केंद्र श्री सोमनाथ आदि ज्योतिर्लिंग माना जाता है। जिसके दर्शन, पूजन से भव बाधा से मुक्ति मिलती है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। वर्तमान गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में श्री सोमनाथ महादेव

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

आस्था एवं भक्ति का केंद्र श्री सोमनाथ आदि ज्योतिर्लिंग माना जाता है। जिसके दर्शन, पूजन से भव बाधा से मुक्ति मिलती है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। वर्तमान गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में श्री सोमनाथ महादेव का विशाल भव्य मनोहारी मंदिर स्थित है जो लम्बे-चौड़े परिसर से घिरा है। श्री सोमनाथ मंदिर भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक तथा ऐतिहासिक परम्परा से प्रतिष्ठित है। सम्पूर्ण गिर सोमनाथ जिला का उद्घोष है ‘जय सोमनाथ’ लोग मिलते-बिछुड़ते बोलते हैं ‘जय सोमनाथ’।

PunjabKesari Maha shivaratri 2020

सोमनाथ रेलवे स्टेशन भी है और बस अड्डा भी परंतु यहां से छह किलोमीटर दूर वेरावल रेलवे स्टेशन का जुड़ाव सभी स्थानों से है। अहमदाबाद से सोमनाथ लगभग 400 कि.मी. दूर है। अहमदाबाद से जूनागढ़ 326 कि.मी. है जहां से सड़क मार्ग से सोमनाथ की दूरी 98 कि.मी. है। वैसे गांधीनगर से सोमनाथ की दूरी 380 कि.मी. है। सोमनाथ का नजदीकी हवाई अड्डा केशोड (जिला जूनागढ़) है जो सोमनाथ मंदिर से लगभग 55 कि.मी. दूर है। जूनागढ़ से रेलमार्ग द्वारा सोमनाथ 85 कि.मी. है।

मंदिर की बनावट और दीवारों पर की गई शिल्पकारी उत्कृष्ट है। इसके पीछे समुद्र तट होने के कारण यहां की छटा देखते ही बनती है। उत्तर-पूर्व में तीन नदियां हिरण्या, कपिला और सरस्वती ‘त्रिवेणी संगम’ करती हुई समुद्र में महासंगम पर विलीन हो जाती हैं। यहां त्रिवेणी घाट है। सोमनाथ-त्रिवेणी घाट रोड के पूर्व में उछाल मारती समुद्र की लहरें समुद्र तट पर समय देने को बाध्य करती हैं, जहां समुद्र स्नान, कैमेल व हार्स राइडिंग आदि का लुत्फ उठा सकते हैं। 

PunjabKesari Maha shivaratri 2020

वेरावल से सोमनाथ आने के क्रम में ‘जूनागढ़ द्वार’ एक ऐतिहासिक आकर्षण है। जहां सोमनाथ के लिए सड़क पर मोड़ है, वहां एक ओर स्वामी नारायण गुरुकुल का तोरणद्वार है तो दूसरी ओर सोमनाथ द्वार। भारतीय संस्कृत साहित्य से ज्ञात होता है कि श्राप से मुक्ति पाने के लिए सोम (चंद्रमा) ने यहां शिव की आराधना की थी और शिव से उन्हें अभय होने का वरदान प्राप्त हुआ था। शिव ज्योतिर्लिंग में परिवर्तित हो गए और यहां विराजमान होकर चंद्रमा के नाथ ‘सोमनाथ’ के नाम से जाने गए।

अनादि काल से जिस स्थान पर श्री सोमनाथ मंदिर की स्थिति थी वहीं सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नए सोमनाथ मंदिर ‘कैलाश महामेरु प्रासाद’ निर्माण पूरा हुआ। 15 नवम्बर, 1947 को भारत के उपप्रधानमंत्री व गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मंदिर निर्माण की घोषणा की थी। 

PunjabKesari Maha shivaratri 2020

सन् 1951 में सोमनाथ मंदिर बनकर तैयार हुआ। सोमनाथ महादेव की प्राण प्रतिष्ठा का समय सुनिश्चित होने पर 11 मई 1951, शुक्रवार प्रभात 9.47 बजे भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के कर कमलों से सोमनाथ महादेव की पुन: प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। शिवलिंग लगभग 5 फुट ऊंचा और परिधि 10 फुट है।

सरदार पटेल के सहयोग से सोमनाथ ट्रस्ट बना, जामनगर के महाराजा दिग्विजय सिंह ट्रस्ट के अध्यक्ष हुए। सोमनाथ की प्रतिष्ठा होने के बाद जामनगर की राजमाता ने भी अपने दिवंगत पति की स्मृति में मंदिर निर्माण करवाया और इसका सत्यसाई बाबा ने उद्घाटन किया। नए सोमनाथ मंदिर का समग्र निर्माण पूरा होने के बाद 1 दिसम्बर 1995 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया।

PunjabKesari Maha shivaratri 2020

प्राचीन भारतीय परम्परा के अनुसार मंदिर निर्माण के समय सभी मंदिरों में शिलालेख लगाया जाता है। जिसमें मंदिर की ऐतिहासिक धार्मिक विरुदावलि अंकित रहती है। यहां भी विद्वान पंडित श्री जय कृष्ण हरि कृष्ण देव द्वारा रचित मंगल सोमस्वतवराज संस्कृत व हिन्दी में लगाया गया। सोम स्वतराज स्रोत में सोमनाथ मंदिर का विगत दो हजार वर्षों का पुरातन इतिहास है। साथ ही द्वापर युग के अंतिम चरण में मंदिर निर्माण तक का पूरा इतिहास स्पष्ट किया गया है।

मंदिर के दक्षिण द्वार (प्रमुख दरवाजा) के समीप अखंड ज्योति स्तंभ प्रकाशित हो रही है। दक्षिण परिक्रमा पथ के पास अम्बा जी एवं उत्तर पथ के पास त्रिपुर सुंदरी माता विराजमान हैं। सुंदर नंदी के पास गणेश जी और हनुमान जी विराजे हैं।

PunjabKesari Maha shivaratri 2020

बाहर परिसर में पश्चिम की ओर ध्वनि और चित्र प्रसारण देखने की गैलरी है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों व अन्य लघु मंदिरों की पंक्ति है। यहां हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है, हमीर जी की डेरी, कर्पदी विनायक का प्राचीन मंदिर दक्षिण की तरफ समुद्र अवलोकन के लिए स्थान है। परिसर द्वार के निकट हनुमान व भैरव विराजमान हैं। परिसर के बाहर पश्चिम, उत्तर में महारानी आहिल्याबाई द्वारा सन् 1782 ई में निर्मित सोमनाथ मंदिर है, जहां अहिल्येश्वर, अन्नपूर्णा, गणपति व काशी विश्वनाथ विराजमान हैं पास में अघोरेश्वर रवेश्वर, महाकाली देवी दुर्गा जी के मंदिर हैं। प्रभाष पाटन में श्री कृष्ण बलराम एवं यादव तथा सूर्यवंशी, चंद्रवंशी, राजवंशों की स्मृतियां विद्यमान हैं। महाविष्णु मंदिर प्रभास गांव में सोमनाथ के पश्चिम में है।

श्री सोमनाथ के पूर्व उत्तर में समुद्र के समीप ‘ब्रह्मकुंड’ है जहां श्री ब्रह्मेश्वर महादेव का मंदिर है। समुद्र के समीप ही योगेश्वर बाघेश्वर व रत्नेश्वर मंदिर हैं। श्री सोमनाथ मंदिर परिसर के उत्तर में गोपाल जी घुड़सवार सैनिक प्रतिमा चौराहे के बीच में ऊंचे आधार पर है जिसके पश्चिम उत्तर में गौरी कुंड, गौरी मंदिर व तपोवन गौरी, नागेश्वर मंदिर आदि हैं। 

धार्मिक असहिष्णुता, मजहबी उन्माद एवं लूटमार के कारण श्री सोमनाथ देवालय का खंडन होता रहा। उसी स्थान पर नए मंदिर बनते भी रहे, लाखों श्रद्धालु भक्त पूरे भारत से आते रहे। देवालय को बचाने के लिए बलिदान दिए और पुनरुद्धार भी करते रहे।

भगवान सोमनाथ की आरती प्रात: 7 बजे, मध्यान्ह 12 बजे और संध्या 7 बजे होती है। पट प्रात: 6 बजे से रात्रि 9 बजे तक खुले रहते हैं। श्री सोमनाथ का मेला हर वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक लगता है। श्रावण माह में प्रतिदिन भीड़ रहती है परंतु सोमवार को भारी भीड़ रहती है। श्री सोमनाथ जी के मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य श्री सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार द्वारा ट्रस्ट को भूमि, बगीचा आदि देकर आय का प्रबंधन किया गया। यज्ञ, रुद्राभिषेक पूजा, विधान आदि विद्वान पंडित सम्पन्न करते हैं। 


 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!