किसी कारणवश कन्या पूजन करना संभव न हो या फिर कन्या न मिले तो करें ये काम, मिलेगा पूरा लाभ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Apr, 2024 11:01 AM

नवरात्रि का समापन महानवमी या राम नवमी के दिन किया जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और कन्या पूजन भी किया जाता है। वहीं कुछ लोग महाष्टमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं।

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Mahaashtami upay: नवरात्रि का समापन महानवमी या राम नवमी के दिन किया जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और कन्या पूजन भी किया जाता है। वहीं कुछ लोग महाष्टमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। महाष्टमी व महानवमी के दिन कन्याओं को घर में आदर स्वरूप आमंत्रित किया जाता है और देवी का रूप मानकर उनके चरणों को जल से धोकर घर में बैठाया जाता है। उन्हें भोजन कराया जाता है। ऋंगार का सामान उपहार में दिया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये 9 कन्याएं मां के नौ स्वरूप होते हैं। मान्यता है कि कन्याओं के घर में प्रवेश करने से माता रानी स्वयं घर में विराजती हैं लेकिन कई बार लोगों को पूरी 9 कन्याएं पूजन के लिए नहीं मिल पाती या फिर किसी कारणवश हम नवरात्रि की पूजा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में लोग कन्फयूज रहते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के व्रत का समापन 9 कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही पूरा माना जाता है। कन्या पूजन में अगर आपको 9 कन्या न मिलें या फिर कन्या पूजन करने में आप असमर्थ हैं तो क्या करना चाहिए, आईए जानते हैं...

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कन्या पूजन के दिन मां दुर्गा को हलवा-चने और पूरी का भोग लगाया जाता है लेकिन अगर कन्याओं को भोजन कराने में असमर्थ हैं, तो दुर्गा सप्तशती में वर्णित है, कि आप मां को लगाए भोग का अंश छत पर पक्षियों के लिए भी रख सकते हैं। इसका फल कन्या पूजन के सामान ही मिलता है या फिर आप गौ माता को भी प्रसाद देकर इसका पुण्य पा सकते हैं।

अगर कन्या पूजन के दौरान कोई कन्या कम रह जाती है, तो उसकी पूरी थाली पूरी-हलवा चने का प्रसाद और गिफ्ट-पैसे आदि बाहर किसी मंदिर में दे आएं या फिर कहीं बाहर जाकर किसी कन्या को पकड़ा दें। इसके साथ ही कन्या के वहीं पर पैर छूना न भूलें।

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अगर आप कहीं घर से बाहर हैं और घर पर कन्याओं को भोजन करवाना संभव नहीं है, तो आप सूखे मेवे, धन और कुछ प्रयोग में आने वाली चीजों को कन्या के नाम से पूजा में रखकर पूज लें और फिर बाद में जब भी संभव हो, कन्याओं को दे दें। ऐसा करने से भी कन्याओं को भोजन कराने जितना फल मिलता है।

कन्या पूजन में इस बात का ध्यान रखें कि कन्याओं की उम्र 2 साल से 10 वर्ष तक होनी चाहिए। 10 साल से ऊपर की कन्या नहीं होनी चाहिए। कन्या पूजन में 9 कन्याओं का होना बेहद शुभ माना गया है।

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