Maharishi Dayanand Saraswati Jayanti 2020: इनके जीवन से जुड़ी हैं ये खास बातें

Edited By Lata,Updated: 17 Feb, 2020 01:36 PM

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स्वामी दयानंद की पूरे विश्व में आर्य समाज के संस्थापक के रूप में जाना जाता है, तो वहीं ये महान चिंतक, समाज-सुधारक

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स्वामी दयानंद की पूरे विश्व में आर्य समाज के संस्थापक के रूप में जाना जाता है, तो वहीं ये महान चिंतक, समाज-सुधारक और देशभक्त भी रहे थे। बता दें कि इनका जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा में हुआ था। आधुनिक भारत के महान चिन्तक और समाज-सुधारक महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती की जयंती कल यानि 18 फरवरी को मनाई जाएगी। स्वामी जी ने बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करने में अपना खास योगदान दिया है। आइए जानते हैं, इनके जीवन से जुड़ी कुछ ओर बातों के बारे में-
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आर्य समाज के संस्थापक और सामाजिक सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर एक ब्राह्राण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम लालजी तिवारी और माता का नाम यशोदाबाई था।
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स्वामी दयानंद सरस्वती के बचपन का नाम मूलशंकर था। मूल नक्षत्र में पैदा होने और भगवान शिव में गहरी आस्था रखने के कारण इनके माता-पिता ने इनका नाम मूलशंकर था। 
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स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदू, इस्लाम और ईसाई धर्म में फैली बुराईओं और अंधविश्वास का जोरदार खण्डन किया।

स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों का प्रचार-प्रसार और महत्ता को लोगों तक पहुंचाने और समझाने के लिए देशभर में भ्रमण किया। इसके अलावा उनका मत था कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे देश में एक भाषा हिंदी भाषा बोली जाए।

उन्होंने 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति है।

स्वामी दयानंद सरस्वती ने देश की आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने  'स्वराज'  का नारा दिया था, जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया।
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महर्षि दयानंद ने देश में फैली तमाम तरह की कुरीतियों के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद की थी। वे जातिवाद और बाल-विवाह के खिलाफ थे। इसके आलावा उन्होने दलित उद्धार और स्त्रियों की शिक्षा के लिए कई तरह के आंदोलन किए।

स्वामी जी की देहांत सन 30 अक्टूबर 1883 को दीपावली के दिन संध्या के समय हुआ।

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