Edited By Prachi Sharma,Updated: 28 Jan, 2024 08:13 AM
गुरु विरजानंद की कुटिया में महर्षि दयानंद झाड़ू लगाया करते थे। एक दिन दयानंद झाड़ू लगा रहे थे तो तभी उन्हें जरूरी काम याद आ गया। उन्होंने झाड़ू लगानी
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Inspirational Story: गुरु विरजानंद की कुटिया में महर्षि दयानंद झाड़ू लगाया करते थे। एक दिन दयानंद झाड़ू लगा रहे थे तो तभी उन्हें जरूरी काम याद आ गया। उन्होंने झाड़ू लगानी छोड़ कूड़ा दरवाजे के निकट लगाया और काम में लग गए।
गुरु विरजानंद जब दरवाजे के पास आए तो उनके पांव वहां कूड़े पर पड़े। उन्होंने दयानंद को कई थप्पड़ मार दिए।
जब गुरुदेव का गुस्सा शांत हुआ तो दयानंद गुरु के चरण पकड़ कर बोले, “गुरुदेव, आप बहुत कमजोर हैं। इसलिए आपके हाथों को कष्ट हुआ होगा। मुझे मेरी इस गलती के लिए डंडे से खूब पीटिए, मैं हट्टा-कट्टा हूं।”
दयानंद द्वारा अपना दोष स्वीकार करने और उसका प्रायश्चित करने की तत्परता और भावना देखकर गुरु विरजानंद की आंखों में आंसू छलक आए।
वह बोले, “तू बहुत बड़ा बनेगा दयानंद। और गुरु के शब्द सत्य सिद्ध हुए।