Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jul, 2020 06:13 AM
हमारी संस्कृति व शास्त्रों में व्रतों का बहुत महत्व बताया गया है। कई व्रत जहां मनचाहा पति पाने के लिए रखे जाते हैं तो कई व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए भी होते हैं। मंगला गौरी एक ऐसा व्रत है जो पति की लंबी
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Mangla gauri vrat 2020: हमारी संस्कृति व शास्त्रों में व्रतों का बहुत महत्व बताया गया है। कई व्रत जहां मनचाहा पति पाने के लिए रखे जाते हैं तो कई व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए भी होते हैं। मंगला गौरी एक ऐसा व्रत है जो पति की लंबी उम्र के साथ-साथ सुख और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी रखा जाता है एवं पुत्र प्राप्ति के लिए भी।
यह व्रत सावन महीने के दौरान सोमवार के दूसरे दिन यानी मंगलवार को रखा जाता है, इसलिए इसका नाम मंगला गौरी व्रत पड़ गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को रखने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन मंगला माता की पूजा करने और कथा सुनने का भी विशेष महात्मय बताया गया है। इस बार सावन में चार मंगला गौरी व्रत और 5 सावन के सोमवार हैं इसलिए इस व्रत की विशेष महत्ता है। सावन का महीना वैसे भी भगवान शिव को समर्पित होता है और ऐसी धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी इसी तपस्या व कठोर साधना को आधार बनाकर भारतीय महिलाएं यह व्रत करके माता से अपने जीवनसाथी की दीर्घायु का आशीर्वाद हासिल करती हैं।
Mangla gauri vrat katha: मंगलागौरी व्रत कथा- इस व्रत के पीछे एक लोक कथा और धार्मिक मान्यता भी है। लोक कथा के अनुसार एक नगर में एक व्यापारी आर्थिक रूप से बहुत संपन्न था लेकिन उसके घर पर कोई संतान नहीं थी। जिस वजह से व्यापारी व उसकी पत्नी बहुत उदास रहा करते थे। पत्नी बहुत धार्मिक विचारों की थी और उसने खूब पूजा-अर्चना के बाद गर्भ धारण किया तथा उसे पुत्र रतन की प्राप्ति हुई। जब उसकी जन्मपत्री बनाने के लिए व्यापारी एक ज्योतिषी के पास गया तो ज्योतिषी ने ग्रह-नक्षत्रों का अध्ययन करने के बाद बताया कि यह बच्चा अल्पायु होगा और जवानी से पहले ही उसकी मृत्यु हो जाएगी।
यह सुनकर व्यापारी दंपत्ति बहुत दुखी हो गया। दिन बीतते गए और उन्होंने 17 साल की उम्र में अपने बेटे की शादी एक सुंदर और संस्कारी कन्या के साथ कर दी, जो हमेशा मंगला गौरी का व्रत रखती थी और मां पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना भी करती थी। उसकी पूजा अर्चना और व्रत के प्रभाव से उसके पति का अल्पायु योग टल गया और उसे दीर्घायु की प्राप्ति हुई। तब से जनमानस में इस व्रत की महत्ता और भी बढ़ गई। ऐसी मान्यता भी है कि मंगला गौरी का व्रत रखने से अगर कुंडली में मंगल दोष सहित वैवाहिक जीवन में कोई समस्या भी है तो वह भी दूर हो जाती है।
Significance of Mangala Gauri Vrat: व्रत का महत्व- यह व्रत विशेष रूप से अखंड सौभाग्य के लिए किया जाता है इसलिए माता को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करने का विधान भी है। इस व्रत को बहुत विधि पूर्वक किया जाना चाहिए और प्रात: काल दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहन कर मंगला गौरी व्रत एवं पूजा का संकल्प लेना चाहिए। घर में बने मंदिर में मां मंगला गौरी की तस्वीर या मूर्ति को लाल वस्त्र बिछाकर एक चौकी पर स्थापित करना चाहिए और पुष्प, अक्षत, गंध , धूप, दीप आदि से उसका पूजन करना चाहिए। मंगला गौरी कथा का पाठ भी करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 5 वर्ष तक मंगला गौरी व्रत करने के बाद उसका उद्यापन करने का विशेष फल मिलता है।
गुरमीत बेदी
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