पाना चाहते हैं जीवन में लाभ तो छोड़ दें ये काम

Edited By Lata,Updated: 23 Mar, 2019 03:46 PM

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हिंदू धर्म में मनुस्मृति का अपना एक मुख्य स्थान है। हर व्यक्ति को सही राह और ज्ञान प्रदान करने के लिए मनुस्मृति की नीतियां बहुत महत्वपूर्ण मानी गई हैं। कहते हैं जो भी व्यक्ति इन नीतियों को अपने जीवन में उतार लेता है तो उसकी लाइफ बहुत सुखद हो जाती है।

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हिंदू धर्म में मनुस्मृति का अपना एक मुख्य स्थान है। हर व्यक्ति को सही राह और ज्ञान प्रदान करने के लिए मनुस्मृति की नीतियां बहुत महत्वपूर्ण मानी गई हैं। कहते हैं जो भी व्यक्ति इन नीतियों को अपने जीवन में उतार लेता है तो उसकी लाइफ बहुत सुखद हो जाती है। मनु के अनुसार खुद को नुकसान से बचाने के लिए अपनी इन्द्रियों को वश में करना बेहद जरूरी होता है। इसलिए मनुस्मृति में कुछ ऐसी बातों के बारे में बताया गया है, जिसे अगर न अपनाया जाए तो व्यक्ति खुद के साथ ही बुरा कर बैठता है। तो चलिए आज हम आपको बताएंगे कि इससे कैसे बचा जा सकता है।
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श्लोकः
इन्द्रियाणां प्रसड्गेन दोषमृच्छत्यसंशयम्।
संनियम्य तु तान्येव ततः सिद्धिं नियच्छति।।

अर्थात- शब्द (मुंह), स्पर्श (हाथ), रूप (आंखें), रस (जिव्हा, जुबान), और गन्ध (नाक)- इन इन्द्रियों के आसक्त (वश) में होकर मनुष्य अवश्य ही दोष का भागी हो जाता है। कहते हैं कि मुंह से निकला हुआ शब्द और धनुष से निकला हुआ बाण कभी वापिस नहीं लिया जा सकता। इसलिए उनका प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए। बिना सोचे-समझे प्रयोग किए गए शब्दों से मनुष्य अपना नुकसान कर बैठता है। कई बार गुस्से में व्यक्ति बहुत कुछ कह जाता है, जो उसे बिल्कुल नहीं कहनी चाहिए। इसलिए अपनी वाणी का सही प्रयोग करना जरूरी होता है। जब किसी पर काम की भावना हावी हो जाती है तो वह व्यक्ति अपने आपे से बाहर हो जाता है और वह कभी किसी के लिए सही भावना अपने मन में नहीं रखता है। अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए वह व्यक्ति किसी भी हद त जाने के लिए तैयार हो जाता है और दुष्कर्म करता है। इसलिए मनुष्य को अपनी कामभावना पर काबू रखना चाहिए। वरना अपने साथ-साथ वे दूसरों का भी नुकसान कर बैठता है।
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किसी भी सुंदर व्यक्ति को देखकर हर कोई आकर्षित होने लग जाता है और उसे पाने की इच्छा जागने लगती है। वह अपने हर काम को भूलकर उस व्यक्ति को पाने की चाह में लगा रहता है। तो ऐसे में सबसे पहले व्यक्ति को अपनी आंखों पर नियंत्रण रखना चाहिए। शास्त्रों में बताया है कि क्या देखें और किस भाव से देखें, इस बात का निर्णय हमें अपनी बुद्धि से लेना चाहिए। जो व्यक्ति अपनी जुबान पर काबू नहीं रखता है, जो सिर्फ स्वाद के लिए ही खाना खोजता है। ऐसा इंसान जल्दी बीमारियों की गिरफ्त में आ जाता है। वह हमेशा ही अपना नुकसान करता ही है। जुबान को वश में करने की बजाय वह खुद उसके वश में हो जाता है। ऐसा इंसान सिर्फ स्वाद के चक्कर में अपनी सेहत से समझौता करता है और कई बीमारियों का शिकार हो जाता है। हमारी नाक भी हमारी पांच इंद्रियों में बहुत महत्वपूर्ण है। सांस लेने के अलावा यह सूंघने का भी काम करती है। अक्सर इंसान किसी चीज के पीछे तीन कारणों से ही पड़ता है, या तो उसका रंग-रुप और आकृति देखकर, उसके बाद स्वाद के कारण या फिर उसकी गंध के कारण। कई बार अच्छी महक वाली वस्तुएं भी स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होती है।
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