अखिल भारतीय महाजन मनाथ बिरादरी का वार्षिक मेला

Edited By Lata,Updated: 11 Nov, 2019 10:27 AM

mata satyavati temple

भारतीय संस्कृति के अनुसार हमारे समाज में अपने बड़े बुजुर्गों, पूर्वजों, शहीदों और सतियों के जन्म दिन

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भारतीय संस्कृति के अनुसार हमारे समाज में अपने बड़े बुजुर्गों, पूर्वजों, शहीदों और सतियों के जन्म दिन और यादगारों को मनाने एवं पूजा आदि की प्रथा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है क्योंकि जो लोग अपने पूर्वजों को भूल जाते हैं, वे उन्नति की ओर नहीं, बल्कि अवनति की ओर ही अग्रसर होते हैं। इसी प्रथा के अंतगर्त अखिल भारतीय महाजन मनाथ बिरादरी के कुलदेव स्थान कठुआ से लगभग अढ़ाई किलोमीटर दूर स्थित गांव चन्न ग्रां में मौजूद माता सत्यवती मंदिर में हर वर्ष लगने वाला विशाल मेला इस वर्ष 12 नवम्बर मंगलवार को लग रहा है जिसमें देश के विभिन्न भागों में एक वंश के विभिन्न परिवारों के हजारों सदस्य  पहुंचते हैं। ये लोग अपने कुलदेव स्थान पर सिर निवाते हैं। पूजा अर्चना करते हैं, सुख शान्ति की कामना करते हैं तथा अपनी भूलों के लिए क्षमा याचना भी करते हैं।
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यहां कुल की बेटियों के लिए माथा टेकना वर्जित है। विवाहित बेटे जब तक इस कुलदेव मंदिर के गिर्द वधू के साथ चार फेरे नहीं ले लेते तब तक उनकी शादी पक्की नहीं मानी जाती। कई लोग अपने कुल के रीति रिवाज के अनुसार पहली बार बेटे के बाल भी यहीं कटवाते हैं। यहां कुलदेव स्थान पर एक प्राचीन मंदिर है। जहां माता सत्यवती के मोहरे पड़े हुए हैं। अब इस मंदिर को आधुनिक रूप दे दिया गया है तथा माता सत्यवती की संगमरमर की मूर्तियां भी उसके साथ ही स्थापित करवा दी गई हैं। इस मंदिर के स्थान की बिरादरी में बड़ी मान्यता है। यहां मंदिर परिसर में माता सत्यवती के चरणों में एक बावली भी स्थित है जिसका पानी इतना पवित्र माना जाता है कि बिरादरी के लोग इसे बोतलों और कैनियों में भर कर अपने घरों को ले जाते हैं और वर्ष भर उसे चरणामृत की तरह प्रयोग करते हैं।

इस मंदिर में बिरादरी के लोग वार्षिक मेल से एक दिन पूर्व ही पहुंच जाते हैं। उनके रहने,सोने और खाने का प्रबन्ध बिरादरी की मंदिर कमेटी करती है। अगले दिन यहां भंडारे का आयोजन भी होता है जिसका प्रसाद सभी लोग ग्रहण करते हैं। कुछ लोग इस प्रसाद को अपने घरों में भी परिवार के उन सदस्यों के लिए लेकर जाते हैं  जो किसी कारणवश यहां नहीं आ पाते। बिरादरी के कई लोग अपने खर्चे पर ब्रेक फास्ट के स्टाल भी यहां लगाते हैं।
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इस बिरादरी की कमेटी ने यहां एक नि:शुल्क स्कूल भी खोल रखा है जिसमें विद्यार्थियों से दाखिला फीस नहीं ली जाती। इसके स्टाफ का वेतन भी मंदिर की कमेटी ही देती है। पत्रकार मंगत राम महाजन इस स्कूल के चेयरमैन हैं। यहीं बस नहीं, अब बिरादरी के कुछ लोगों द्वारा अपने खर्च पर यहां विभिन्न मंदिर बनाए गए हैं, जिनमें बजरंग बली, राम दरबार, लक्ष्मी नारायण, सूर्य देव, शिव भगवान, नाग देवता, श्री गणेश, दुर्गा माता और धर्म राज की मूर्तियां स्थापित की गई हैं जिससे यह स्थान अब स्वत: ही एक तीर्थ स्थान बन कर रह गया है।

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