मत्स्य द्वादशी 2019- एक क्लिक में जानें मत्स्य अवतार की कथा, पूजा विधि व खास मंत्र

Edited By Jyoti,Updated: 08 Dec, 2019 10:33 AM

matsya dwadashi 2019

09 दिसंबर यानि सोमवार को मोक्षदा एकादशी के ठीक अगले दिन मत्स्य द्वादशी का पर्व मनाया जाएगा। बता दें हिंदू धर्म के ग्रंथों में भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार का संपूर्ण तरीके से वर्णन किया गया है।

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09 दिसंबर यानि सोमवार को मोक्षदा एकादशी के ठीक अगले दिन मत्स्य द्वादशी का पर्व मनाया जाएगा। बता दें हिंदू धर्म के ग्रंथों में भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार का संपूर्ण तरीके से वर्णन किया गया है। इतना ही नहीं श्री हरि के इस स्वरूप को इनके सभी अवतारों में से प्रमुख बताया गया है। इनके इस अवतार में श्री हरि ने मछली के रूप धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध किया था तथा वेदों की रक्षा की थी। जिसे मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मत्स्य द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी तिथि की तरह द्वादशी तिथि को भी हिंदू धर्म में अधिक महत्व प्रदान है। कहा जाता है इस दिन जो श्री हरि की पूजा विशेष लाभ प्राप्त करती है। तो वहीं मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा करने का विधान बताया जाता है।
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मत्स्य अवतार कथा-
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित कथाओं की मानें तो एक बार दैत्य हयग्रीव ने ब्रह्मा जी से वेदों को चुरा लिया। वेदों के चोरी होने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया और समस्त लोक में अज्ञानता का अंधकार फैल गया। तब भगवान विष्णु जी ने धर्म की रक्षा हेतु मत्स्य अवतार धारण किया और दैत्य हयग्रीव का वध कर और वेदों की रक्षा की तथा वापस ब्रह्मा जी को वेद सौंपें।

महत्व-
कहा जाता है सृष्टि का आरंभ जल से हुआ है और वर्तमान काल में भी जल ही जीवन है। अतः मत्स्य द्वादशी का विशेष महत्व है। पुराणों में भगवान विष्णु जी के 12 अवतारों में से प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है जिस कारण मत्स्य द्वादशी बहुत शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से संकट दूर करते हैं तथा सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
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पूजा विधि-
प्रातः काल उठकर स्नान-ध्यान से निवृत हो जाएं। इसके बाद इस दिन इनके नाम से उपवास रख पूजा-अर्चना करें। ध्यान रहे आज यानि मत्स्य द्वादशी के दिन जलाशय या नदियों में मछलियों को चारा ज़रूर डालें।

इसके अलावा निम्न मंत्र का जाप अवश्य करें-
मंत्र: वंदे नवघनश्यामम् पीत कौशेयवाससम्।
सानंदम् सुंदरम् शुद्धम् श्रीकृष्णम् प्रकृतेः परम्॥

ॐ मत्स्यरूपाय नमः॥ 
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