मोक्षदा एकादशी 2020: श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था इस एकादशी तिथि का महत्व, आप भी जानें

Edited By Jyoti,Updated: 24 Dec, 2020 01:40 PM

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आने वाले शुक्रवार यानि 25 दिसंबर को इस साल की यानि 2020 वर्ष की आखिरी एकादशी मनाई जाएगी, जिसे मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। बता दें प्रत्येक वर्ष ये एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

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आने वाले शुक्रवार यानि 25 दिसंबर को इस साल की यानि 2020 वर्ष की आखिरी एकादशी मनाई जाएगी, जिसे मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। बता दें प्रत्येक वर्ष ये एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने वाला जातक संसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्त होता है। साथ ही साथ इस दिन विष्णुव भगवान का व्रत कर विधि वत उनकी पूजा करने से जातक को पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।  
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इस दिन से जुड़ी धार्मिक कथाओं की मानें तो द्वापर युग में श्री हरि ने अपने श्री कृष्ण स्वरूप में पाडु पुत्र व अपने सखा अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जिस कारण इस दिन गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं देश के विभिन्न हिस्सों में गीता जयंती के अवसर पर आयोजन भी करवाए जाते हैं।

आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं क्या है इस दिन का महत्व आदि-
यूं तो साल में पड़ने वाली प्रत्येक एकादशी खास होती है, परंतु मार्गशीर्ष मास में आने वाली यह एकादशी अधिक खास मानी जाती है। चूंकि इस एकादशी के दिन श्री कृष्ण भगवान ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया, जिससे मानव जीवन सार्थक होता है, इसलिए इसका महत्व अधिक हो जाता है। कहा जाता है इस दिन व्रत आदि करने वाले व्यक्ति के बड़े से बड़े पातक का नाश हो जाता है।इस एकादशी का व्रत आदि करने वाले जातक बुद्धि, शांति व संततिदायक बनाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन पावन नदियों में स्नान आदि का अधिक महत्व होता। जो भी व्यक्ति इस दिन स्नान आदि के साथ दान आदि जैसे पुण्य कार्य करते हैं वो जन्म-जन्मांतर के पापों से छुटकारा मिलता है, तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।
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बता दें मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान दामोदर का पूजन करना अधिक लाभकारी होता है। शास्त्रों में किए वर्णन के अनुसार श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को इस पावन एकादशी का महत्व समझाते हुए बताया था कि जो भी इस एकादशी का व्रत करता है उसे तो पुण्य प्राप्ति होती ही है, साथ ही साथ केवल इसकी कथा के श्रवण मात्र से जातक को वाजपेय यज्ञ के समान का फल प्राप्त होती है। यह एकादशी तिथि समस्त तिथियो में से लाभकारी मानी जाती है,जो जातक के पापों का हरण करके पुण्य प्रदान करवाती है।

मोक्षदा एकादशी के दिन व्यक्ति को तुलसी की मंजरी तथा पीला चन्दन, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतु फल एवं धूप-दीप, नैवैद्य आदि से भगवान दामोदर का भक्ति पूर्वक पूजन करना चाहिए।

इसके अलावा रात्रि में भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए भजन-कीर्तन करके उनकी स्तुति का जप करना चाहिए।

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इसके अलावा इस दिन व्यक्ति को भगवतगीता का पाठ ज़रूर करना चाहिए, इससे व्यक्ति के सब दुःख दूर होते है।
 

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