Edited By Jyoti,Updated: 04 Mar, 2021 10:57 AM
एक गांव में एक लड़का रहता था। वह बहुत ही गुस्सैल था। उसकी इस आदत से परेशान होकर एक दिन उसके पिता ने उसे कीलों से भरा हुआ एक थैला दिया
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एक गांव में एक लड़का रहता था। वह बहुत ही गुस्सैल था। उसकी इस आदत से परेशान होकर एक दिन उसके पिता ने उसे कीलों से भरा हुआ एक थैला दिया और कहा कि अब जब भी तुम्हें गुस्सा आए तो तुम इस थैले में से एक कील निकालना और बाड़े में ठोंक देना।
पहले दिन उस लड़के ने चालीस बार गुस्सा किया और इतनी ही कीलें बाड़े में ठोंक दीं। पर धीरे-धीरे कीलों की संख्या घटने लगी। उसे लगने लगा कि कीलें ठोंकने में इतनी मेहनत करने से अच्छा है कि अपने क्रोध पर काबू किया जाए। फिर एक दिन ऐसा आया कि उस लड़के ने पूरे दिन में एक बार भी गुस्सा नहीं किया।
जब लड़के ने अपने पिता को यह बात बताई तो उन्होंने फिर उसे एक काम दे दिया। उन्होंने कहा कि अब हर उस दिन, जिस दिन तुम एक बार भी गुस्सा न करो, इस बाड़े से एक कील निकाल देना।
लड़के ने ऐसा ही किया और वह दिन भी आ गया जब लड़के ने बाड़े में लगी आखिरी कील भी निकाल दी और अपने पिता को खुशी से यह बात बताई। तब पिता जी उसका हाथ पकड़ कर उस बाड़े के पास ले गए और बोले, ‘‘बेटे तुमने बहुत अच्छा काम किया है लेकिन क्या तुम बाड़े में हुए छेदों को देख पा रहे हो। अब यह बाड़ा कभी भी वैसा नहीं बन सकता जैसा यह पहले था। जब तुम क्रोध में कुछ कहते हो तो वे शब्द भी इसी तरह सामने वाले व्यक्ति पर गहरे घाव छोड़ जाते हैं।’’