Edited By Jyoti,Updated: 17 May, 2022 10:40 AM
एक बार संत तुकडोजी महात्मा गांधी के आश्रम में एक महीने के लिए रहने आए। गांधी जी ने उन्हें अपने पास ही ठहराया। वह उनके प्रार्थना व कीर्तन में सम्मिलित होते और उनसे विचार-विमर्श करते थे। एक दिन बापू ने उन्हें
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एक बार संत तुकडोजी महात्मा गांधी के आश्रम में एक महीने के लिए रहने आए। गांधी जी ने उन्हें अपने पास ही ठहराया। वह उनके प्रार्थना व कीर्तन में सम्मिलित होते और उनसे विचार-विमर्श करते थे। एक दिन बापू ने उन्हें अपनी बात समझाने के लिए एक कहानी सुनाई : एक गरीब आदमी था और एक पैसे वाला। दोनों के घर आसपास थे। एक दिन गरीब के घर में चोर आ गए। गरीब की आंख खुल गई। उसने देखा कि चोर इधर-उधर परेशान होकर चीजें खोज रहे हैं।
वह उठा और बोला, ‘‘आप क्यों परेशान होते हैं। मेरे पास जो कुछ है, वह मैं अपने आप लाकर दे देता हूं।’’
इतना कह कर उसके पास जो थोड़े-बहुत रुपए थे, वे उनके हवाले कर दिए। चोरों ने उस आदमी की ओर अचरज से देखा और रुपए लेकर चलते बने। मगर इतने थोड़े रुपयों से
चोरों का मन नहीं भरा। वे तत्काल धनी आदमी के यहां पहुंचे। वह पहले से ही जाग रहा था। उसने उनकी बातें सुन ली थीं। सोचा जब गरीब ऐसा कर सकता है तो वह क्यों नहीं कर सकता।
उसने चोरों से कहा, ‘‘आप लोग बैठो। मेरे पास जो कुछ है, वह मैं तुम्हें दे देता हूं।’’ फिर उसने अपनी जमा पूंजी लाकर उनके सुपुर्द कर दी। चोरों को काटो तो खून नहीं। उनके अंदर राम जाग उठा। अमीर-गरीब का सारा माल छोड़कर वे चले गए और अपना धंधा त्यागकर साधु बन गए।
यह कहानी सुनाकर महात्मा गांधी ने कहा, ‘‘मैं हिंसा के मुख में अहिंसा को इसी तरह झोंक देना चाहता हूं। आखिर कभी तो हिंसा की भूख शांत होगी। अगर दुनिया को शांति से जीना है तो मेरी जानकारी में इसका दूसरा और कोई रास्ता नहीं है।’’