Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Jan, 2022 12:43 PM
एक अध्यापक को भिक्षु चू लाई की शिक्षाओं में विश्वास नहीं था
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Motivational Story: एक अध्यापक को भिक्षु चू लाई की शिक्षाओं में विश्वास नहीं था। एक दिन उसने चू लाई का अपमान कर दिया। अध्यापक की पत्नी चू लाई की भक्त थी। उसने जब सुना कि पति ने उसके गुरु का अपमान किया है तो वह बहुत दुखी हुई और उसको बहुत गुस्सा भी आया।
उसने अपने पति को काफी समझाया-बुझाया और साथ में फटकारा भी। बिगड़ती हुई स्थिति को संभालने के लिए पति ने पूछा, ‘‘अब क्या करना चाहिए। तब पत्नी ने पति को चू लाई के पास जाकर माफी मांगने की सलाह दी।’’
अध्यापक क्षमा मांगना तो नहीं चाहता था लेकिन उसने सोचा कि पत्नी से नोक-झोंक करने से अच्छा है कि भिक्षु से ही माफी मांग ली जाए। वह मंदिर में गया और क्षमा के दो शब्द कहे। तब चू लाई ने कहा, ‘‘मैं तुमको क्षमा नहीं करता, जाओ अपना काम करो।’’
अध्यापक को कुछ भी नहीं सूझा और उसने लौट कर पत्नी को यह बात बताई। पत्नी चू लाई के पास आई और शिकायती लहजे में बोली, ‘‘मेरे पति अपने किए पर शर्मिंदा थे लेकिन आपने जरा भी रहमदिली नहीं दिखाई।’’
चू लाई ने क्षमा की महत्ता समझाते हुए कहा, ‘‘मेरे मन में तुम्हारे पति के लिए किसी तरह का कोई क्रोध नहीं है परन्तु मैं यह भी जानता हूं कि वह हकीकत में लज्जित नहीं है। ऐसी स्थिति में उसे मेरे प्रति नाराज ही बना रहने दो। उसकी क्षमा-याचना स्वीकार करने पर हमारे मध्य संबंधों में झूठी मधुरता आ जाती, जो तुम्हारे पति के क्रोध को और ज्यादा बढ़ा देती।’’