कड़वे प्रवचन लेकिन सच्चे बोल- मुनि श्री तरुण सागर जी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Sep, 2020 10:31 AM

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सर्वाधिक मूल्यवान है समय दुनिया में हर चीज का मूल्य है। कुछ चीजों का सिर्फ मूल्य है तो कुछ चीजें बहुमूल्य हैं। एक समय ही है जो अमूल्य है।

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सर्वाधिक मूल्यवान है समय
दुनिया में हर चीज का मूल्य है। कुछ चीजों का सिर्फ मूल्य है तो कुछ चीजें बहुमूल्य हैं। एक समय ही है जो अमूल्य है। समय को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता। आदमी पैसा तो ज्यादा से ज्यादा कमा सकता है पर समय नहीं कमाया जा सकता। दुनिया का पूरा पैसा मिल कर भी एक सैकेंड नहीं खरीद सकता। समय के रहते संभल जाओ वरना तुम्हें पता ही होगा कि समय की मार बड़ी गहरी होती है।

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बंटाधार और उद्धार
कपड़ा चूहा भी काटता है और दर्जी भी। चूहा काटता है तो बंटाधार हो जाता है और दर्जी काटता है तो उद्धार हो जाता है। जीवन ज्ञानी-अज्ञानी दोनों जीते हैं, अज्ञानी जीवन को तमाशा बनाकर जीता है और ज्ञानी जीवन को तीर्थ बनाकर। जीवन को तीर्थ बनाकर जीना है तो हर रोज कम से कम दो पुण्य जरूर करें। जिस रोज दो पुण्य न कर सको, शाम को दो रोटी कम खाना। रात में भूख लगेगी तो अपने आप अक्ल आ जाएगी।

बड़ा कौन
पाप और पुण्य में विवाद हो गया। पुण्य बोला, ‘‘मैं बड़ा हूं।’’ पाप बोला, ‘‘मैं बड़ा हूं।’’ पाप ने पुण्य से पूछा, ‘‘तुम कैसे बड़े हो?’’
पुण्य ने कहा, ‘‘मैं इसलिए बड़ा हूं क्योंकि सारी दुनिया मुझे चाहती है। फिर पुण्य ने पूछा, ‘‘और तुम कैसे बड़े हो?’’
पाप ने कहा, ‘‘मैं इसलिए बड़ा हूं क्योंकि सारी दुनिया मुझे करती है। पुण्य को सिर्फ चाहना नहीं करना भी है जिसको छिपकर किया जाए वह पाप और जिसको छिपाकर किया जाए वह पुण्य।’’

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प्रतिष्ठा और प्रसन्नता
पुण्य सबसे बड़ा सुरक्षा कर्मी है। अत: सत्कर्म करते चलो और पुण्य से झोली भरते चलो। केवल पैसा मत कमाओ। पैसे के साथ प्रतिष्ठा और प्रसन्नता भी कमाओ। पैसा तो वेश्या भी कमा लेती है। प्रतिष्ठा और प्रसन्नता पुण्य की हमजोली है। पैसा इस लोक में काम आ सकता है, परलोक में नहीं। परलोक में तो तुम्हारा पुण्य ही काम आएगा। वह पुण्य प्रभु के दर पर सिर झुकाने और प्रभु के बताए पथ पर चलने से मिलता है।

प्रार्थना में भी स्वार्थ
आज के आदमी का भोजन ही तामसिक नहीं हुआ बल्कि उसकी प्रार्थना भी तामसिक हो गई है। आदमी प्रार्थना करने बैठता है और कहता है, ‘‘हे प्रभु! मैं सुखी रहूं और मेरे बीवी बच्चे सुखी रहें बाकी दुनिया जाए भाड़ में। दुनिया भाड़ में जाएगी या नहीं जाएगी, मुझे नहीं पता लेकिन कहने वाला तो भाड़ में जरूर जाएगा क्योंकि तूने भाव बिगाड़ लिए और भाव बिगडऩे से भव बिगड़ ही जाता है।

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