राधा अष्टमी 2019ः आज कर लें राधा जी के इन नामों का जाप और फिर देखें कमाल

Edited By Lata,Updated: 06 Sep, 2019 11:37 AM

naam jaap of sri radha rani

आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा रानी का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। जिसे राधा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

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आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा रानी का प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। जिसे राधा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि इस दिन राधा रानी के नाम का जाप करने से हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही व्रत रखने से व्यक्ति को सुख-शांति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार राधा रानी का अभिषेक दोपहर 12 बजे किया जाता है और उसके बाद व्रत खोला जाता है। 
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आज के दिन श्री राधा जी के 32 नामों का स्मरण करने से जीवन में सुख, प्रेम और शांति का वरदान मिलता है। धन और संपंत्ति तो आती जाती है जीवन में सबसे जरूरी है प्रेम, सुख और शांति मिलती है।

मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !!

सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !!

परम् पुनीता राधा ! राधा !!

नित्य नवनीता राधा ! राधा !!

रास विलासिनी राधा ! राधा !!

दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !!

नवल किशोरी राधा ! राधा !!

अति ही भोरी राधा ! राधा !!

कंचनवर्णी राधा ! राधा !!

नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !!

सुभग भामिनी राधा ! राधा !!

जगत स्वामिनी राधा ! राधा !!

कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !!

आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !!
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प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !!

रस आपूर्ति राधा ! राधा !!

नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !!

नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !!

कोमल अंगिनी राधा ! राधा !!

कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !!

कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !!

परम् हर्षिणी राधा ! राधा !!

सिंधु स्वरूपा राधा ! राधा !!

परम् अनूपा राधा ! राधा !!

परम् हितकारी राधा ! राधा !!

कृष्ण सुखकारी राधा ! राधा !!

निकुंज स्वामिनी राधा ! राधा !!

नवल भामिनी राधा ! राधा !!

रास रासेश्वरी राधा ! राधा !!

स्वयं परमेश्वरी राधा ! राधा !!

सकल गुणीता राधा ! राधा !!

रसिकिनी पुनीता राधा ! राधा !!
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कर जोरि वन्दन करूं मैं_
नित नित करूं प्रणाम_
रसना से गाती/गाता रहूं_
श्री राधा राधा नाम !!

जो भी श्रद्धापूर्वक राधा जी के नाम का आश्रय लेता है वह प्रभु की गोद में बैठकर उनका स्नेह पाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में स्वयं श्री हरि विष्णु जी ने कहा है कि जो व्यक्ति अनजाने मैं भी राधा कहता है उसके आगे मैं सुदर्शन चक्र लेकर चलता हूं। उसके पीछे स्वयं शिव जी उनका त्रिशूल लेकर चलते हैं। उसके दाईं ओर इंद्र वज्र लेकर चलते हैं और बाईं तरफ वरुण देव छत्र लेकर चलते हैं।

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