Edited By Jyoti,Updated: 29 Jan, 2020 01:24 PM
बसंत पंचमी का त्यौहार देश भर के बहुत से हिस्सों में मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार इस दिन को देवी सरस्वती के जन्म से जोड़ा जाता है। यही कारण है इसका महत्व अधिक माना जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बसंत पंचमी का त्यौहार देश भर के बहुत से हिस्सों में मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार इस दिन को देवी सरस्वती के जन्म से जोड़ा जाता है। यही कारण है इसका महत्व अधिक माना जाता है। हिंदू धर्म में माता सरस्वती को कला, विद्या तथा बुद्धि की देवी कहा जाता है। अब इन सब बातों से तो यही ज़ाहिर होता है कि इस दिन का संबंध केवल सरस्वती माता से है। मगर क्या आप जानते हैं देवी सरस्वती के अलावा बसंत पंचमी के दिन कुछ इतिहास देवों के देव महादेव तथा उनकी अर्धांगिनी देवी पार्वती से भी जुड़ा हुआ है। जी हां, बहुत कम लोग जानते होंगे कि धर्म शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि भगवान भोलेनाथ एवं जगत जननी माता पार्वती जी की विवाह से पूर्व सगाई तथा देवताओं द्वारा भगवान शंकर की तिलक की रस्म माघ मास की पंचमी तिथि के दिन ही हुई थी। और इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन शुरू हुआ थी। ऐसा कहा जाता है तभी से शिव-पार्वती के विवाह से पूर्व सगाई वाले दिन को हर साल बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा। बता दें इस साल यानि 2020 में कुछ जगहों पर 29 जनवरी को तो कुछ जगहों पर 30 जनवरी यानि गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।
इसलिए कहा जाता है इस दिन इनसे जुड़े कुछ उपाय आदि करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी जातक की शादी न हो रही हो या वैवाहिक जीवन में किसी न किसी तरह की कोई मुसीबत आ रही हो तो इस दिन शिव पार्वती से जुड़े उपाय लाभ दिलाते हैं।
यहां जानें इनसे जुड़ा खास उपाय-
मान्यताओं के अनुसार हैं कि इस दिन दोपहर के समय शंकर जी एवं पार्वती जी का षोडशोपचार विधि से पूजन करना चाहिए। पूजन में शंकर-पार्वती को पीले फूलों की माला, पीले फूल, पीले चावल तथा पीले दुपट्टे अर्पित कर पीले प्रसाद का भोग लगाएं और अपनी मनोकामना पूर्ति का माता पार्वती तथा भगवान शिव से प्रार्थना करें।
इसके बाद शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव जी का ताजे गन्ने के रस से अभिषेक करें। इससे आपकी धन, विवाह संबंधित अनेक मनोकामनाएं पूरी होंगी। ध्यान रहे अभिषेक करते समय 108 या फिर 501 बार ॐ नमः शिवाय इस पंचाक्षरी मंत्र का जप करते रहें।