परशुराम द्वादशी आज: चिरंजीव अवतार ने अपनी माता का वध कर पाया अमरत्व का वरदान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 May, 2019 02:58 PM

parashuram dvashashi

भगवान विष्णु जी के दशावतारों में तीन राम हुए-भार्गव राम (परशु राम जी), रघुनंदन राम (श्री राम चन्द्र जी) और यदु नंदन राम (बलराम जी)। परशु राम ब्रह्मा जी के वंशज, शिव जी के शिष्य व विष्णु जी के अवतार हुए। परशुराम जी का बाल्यावस्था का नाम राम है।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

भगवान विष्णु जी के दशावतारों में तीन राम हुए-भार्गव राम (परशु राम जी), रघुनंदन राम (श्री राम चन्द्र जी) और यदु नंदन राम (बलराम जी)। परशु राम ब्रह्मा जी के वंशज, शिव जी के शिष्य व विष्णु जी के अवतार हुए। परशुराम जी का बाल्यावस्था का नाम राम है। भगवान शिव जी की कृपा से उन्हें सिद्धि प्राप्त हुई। भगवान शिव जी की कृपा से प्रसाद रूप परशु ‘विद्युदभि’ जैसे अमोघ शस्त्र को प्राप्त किया और तभी से बाल्यावस्था का नाम राम से ‘परशुराम ’ विख्यात हुआ। परशुराम का जन्म महर्षि भृगु द्वारा स्थापित वंश में होने के कारण ऋषिकुल में जन्म लेने वाला यह एक ही अवतार है।

PunjabKesari Parashuram Dvashashi

चिरंजीवी भगवान परशुराम जी, भगवान विष्णु जी के छठे और अंश अवतार हैं। भगवान परशु राम जी ब्रह्मविद्या एवं शस्त्र विद्या में पारंगत, शस्त्रास्त्र विद्या में निष्णात्, धनुर्वेद के रचयिता, गौ और ब्राह्मण के रक्षक, दीन-हीन एवं दलितों के उद्धारक हुए। यही उनका भक्ति एवं शक्ति का स्वरूप है। महाविष्णु के दशावतार में से परशुराम मात्र चिरंजीव अवतार हैं। जब-जब धर्म का नाश होता है, अधर्म बढ़ता है, तब-तब मैं स्वयं साधुओं की रक्षा के लिए तथा दुर्जनों के विनाश के लिए धर्म की पुन: स्थापना हेतु बार-बार इस पृथ्वी पर निराकार स्वरूप से आकारी स्वरूप में आकर अवतार ग्रहण करता हूं।

परशुराम जी की पहली परीक्षा इनके गुरु और पिता जमदग्रि ने ली थी। इनकी माता इक्ष्वाकु वंश के राजा रेणुक की बेटी रेणुका थीं। उनसे आर्यों द्वारा निर्मित ‘नीति पंथ’ का उल्लंघन हो गया, जिसे जमदग्नि ने नीति पंथ का कट्टर समर्थक होने के नाते अक्षम्य माना। उन्होंने अपने पुत्रों को माता का सिर काटने की आज्ञा दी। चारों पुत्रों में से केवल परशुराम जी ने पिता की आज्ञा को सर्वोच्च मान कर, उनके तपोबल और संजीवनी विद्या की विशेषज्ञता से परिचित होने के कारण पिता की आज्ञा का पालन किया। पिता जमदग्नि ने प्रसन्न होकर कहा, पुत्र! तुम पितृभक्ति की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए और उन्हें चिरंजीवी होने के साथ-साथ अमरत्व का वरदान दिया। 

PunjabKesari Parashuram Dvashashi

भार्गव राम ने विचार किया कि धर्म-स्थापना, अधार्मिक कृत्यों का उन्मूलन यदि शास्त्र से संभव न हो तो उसकी रक्षा के लिए शस्त्र उठाने में भी किसी प्रकार का संकोच नहीं करना चाहिए। कभी-कभी अहिंसा की रक्षा के लिए हिंसा भी अनिवार्य हो जाती है। परशुराम जी की प्रबल धारणा और अमर उपदेश यह है कि; ‘अत्याचार करना पाप है परंतु अत्याचार सहना तो महापाप है’। ‘संत सिपाही’ की मौलिक संज्ञा वस्तुत: परशुराम जी के जीवन से ही प्रदर्शित हुई। 

अत्याचारी शासकों का उन्मूलन करने वाले भगवान परशुराम ने अपने निवास के लिए सागर से भूमि छीनकर परशुराम क्षेत्र की स्थापना की और महेन्द्र पर्वत पर तपस्या में लीन हो गए। 

त्रेता युग में राक्षसों के विनाश के लिए भगवान राम को अपना वैष्णव धनुष दिया। द्वापर युग में भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र का पुन: स्मरण करवाया, बलराम जी को हल एवं मूसल प्रदान किए। भगवान परशुराम ने कृष्ण और बलराम को गोरिल्ला (छापामार) युद्ध का प्रशिक्षण प्रदान किया। इनके शिष्य भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, एवं  बलराम जी जैसे महारथी थे। 

भगवान बुद्ध को भार्गव आश्रम बोध गया में ज्ञान दिया, कलयुग में होने वाले अवतार कल्कि को भगवान परशुराम समस्त वेद, धनुर्वेद सम्पूर्ण कलाओं का ज्ञान प्रदान करेंगे। ये अपने साधकों-उपासकों तथा अधिकारी महापुरुषों को अब भी दर्शन देते हैं। इनकी साधना उपासना से भक्तों का कल्याण होता है।     
PunjabKesari Parashuram Dvashashi

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!