इस मंदिर में बजरंगबली आज भी बोलते हैं राम राम राम...

Edited By Jyoti,Updated: 22 Dec, 2018 04:09 PM

pilua mahavir temple

जैसे श्रीराम अपने कर्तव्यों के लिए जाने जाते हैं, श्रीकृष्ण अपनी लीलाओं के लिए, शिव जी अपने भोलेपन के लिए। ठीक वैसे ही पवनपुत्र हनुमान अपने चमत्कारों और शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।

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जैसे श्रीराम अपने कर्तव्यों के लिए जाने जाते हैं, श्रीकृष्ण अपनी लीलाओं के लिए, शिव जी अपने भोलेपन के लिए। ठीक वैसे ही पवनपुत्र हनुमान अपने चमत्कारों और शक्तियों के लिए जाने जाते हैं। शास्त्रों में इनके बारे में किए वर्णन के अनुसार हिंदू धर्म में भगवान शिव शंकर के बाद केवल हनुमान जी एक ऐसे देव हैं जो आज भी इस धरती जीवित हैं। आज हम आपको इनके ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि हनुमान जी आज भी इस धरती पर जीवित हैं।
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वैसे तो दुनियाभर में हनुमान जी के ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपनी किसी न किसी चमत्कार को लेकर देशभर में प्रसिद्ध हैं। लेकिन आज हम जिस मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसका चमत्कार बाकि मंदिरों में से बहुत अलग हैं। जी हां, इस मंदिर में कुछ ऐसा होता है जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। हम बात कर रहे हैं उत्तरप्रदेश के इटावा से 12 किलोमीटर से पिलुआ महावीर मंदिर हैं, इतना तो सभी जानते हैं कि पवनपुत्र हनुमान जी श्री राम के परम भक्त थे और हर समय केवल उनको ही याद करते रहते थे। परंतु क्या आप जानते हैं कि इस बात का प्रमाण आपको आज के समय में कहीं देखने को मिल सकता है। नहीं न, क्योंकि कभी ऐसा देखने को नही मिला होगा और आजकल तो लोगों को तब तक किसी बात पर विश्वास नहीं होता जब तक वो आंखों से देख न लें और कानों से सुन न लें। परंतु उत्तरप्रदेश के इटावा से 12 किलोमीटर से पिलुआ महावीर मंदिर हैं। इस मंदिर से आसपास के ज़िलों सहित दूर-दूर से भी भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने आए भक्तों की महावीर जटिल से जटिल रोग ठीक कर देते हैं।
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मूर्ति खाती है प्रसाद
लोगों की मान्यताओं की मानें तो यहां मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति प्रसाद खाती हैं। इसके अलावा यहां मूर्ति के मुख से लगातार राम नाम की ध्वनी सुनाई देती है और इसके साथ ही मूर्ति में सांसें चलने का आभास भी होता है। बता दें मंदिर में स्थापित हनुमान जी दक्षिण की तरफ़ मुंह करके लेटे हैं। कहा जाता है कि मूर्ति के मुंह में जितना भी प्रसाद के रूप में लड्डू और दूध चढ़ाया जाता है वह कहां गायब हो जाता है, इसके बारे में आजतक कोई पता नहीं लगा पाया है।
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चमत्कारी मंदिर
आपको बता दें कि करीब तीन सौ साल पहले ये क्षेत्र प्रतापनेर के राजा हुक्म चंद्र प्रताप सिंह चौहान के अधीन था। उनको श्री हनुमान जी ने अपनी प्रतिमा यहां होने का स्वप्न दिया था। इसके तहत राजा हुक्म चंद्र इस स्थान पर आए और प्रतिमा को उठाने का प्रयास किया पर वे उठा नहीं सके। जिसके बाद उन्होंने विधि-विधान से इसी स्थान पर प्रतिमा की स्थापना कराकर मंदिर का निर्माण करवा दिया। बता दें कि दक्षिणमुखी लेटी हुई हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख तक हर समय पानी नज़र आता है। चाहे जितना प्रसाद एक साथ मुख में डाला जाए, सब कुछ उनके उदर में समा जाता है। अभी तक कोई भक्त उनके उदर को नहीं भर सका और न यह पता चला कि यह प्रसाद कहां चला जाता है।
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