Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Apr, 2019 12:02 PM
चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन रामनवमी के रुप में मनाया जाता है। इस दिन नवदुर्गा को विदा करके भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम का जन्मदिन बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामनवमी के दिन ही श्रीरामचन्द्र जी के जीवन पर आधारित...
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चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन रामनवमी के रुप में मनाया जाता है। इस दिन नवदुर्गा को विदा करके भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम का जन्मदिन बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामनवमी के दिन ही श्रीरामचन्द्र जी के जीवन पर आधारित ग्रंथ श्री रामायण की रचना आरंभ की थी। पुराणों के मतानुसार रघुकुल के राजा दशरथ की तीन रानियां थी कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी लेकिन कोई भी रानी पुत्रवती नहीं थी। ऋषि-मुनियों के कहने पर उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ से निकली खीर को यज्ञ देवता ने उन्हें तीनों रानियों को खिलाने के लिए कहा। उन्होंने तीनों रानियों को प्रसाद दे दिया। थोड़े वक्त के बाद तीनों रानियों ने गर्भधारण किया और समय आने पर कौशल्या ने श्रीराम को जन्म दिया, केकैयी ने भरत को और सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न दो पुत्रों को जन्म दिया। तभी से ये मंगलमय दिन राम नवमी के रूप में मनाया जाता है।
आज भी अयोध्या में चैत्र राम मेले की धूम बड़े पैमाने पर देखी जा सकती है। अपने घर अथवा कार्य स्थान पर इस विधि से करें श्रीराम की पूजा-
सूर्य उदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
श्रीराम के स्वरुप अथवा चित्र को कमल के फूलों से सजाकर पालने में झूलाएं।
षोडशोपचार पूजन करें।
मान्यता के अनुसार श्रीराम को खीर बहुत प्रिय है। खीर में तुलसी पत्ता डालकर उन्हें फल और अन्य स्वादिष्ट पकवानों का भोग लगाएं।
राम रक्षास्त्रोत, राम स्त्रोत, रामायण के 108 मनके का पाठ करें।
अंत में श्री राम की आरती उतारें। प्रसाद अपनी शक्ति के अनुसार अधिक से अधिक लोगों को बांट कर फिर परिवार में बांटे। आखिर में स्वयं ग्रहण करें।
श्री राम की आरती
जगमग जगमग जोत जली है।
राम आरती होन लगी है।।
भक्ति का दीपक प्रेम की बाती।
आरती संत करें दिन राती।।
आनंद की सरिता उभरी है।
जगमग जगमग जोत जली है।।
कनक सिंघासन सिया समेता।
बैठहिं राम होइ चित चेता।।
वाम भाग में जनक लली है।
जगमग जगमग ज्योत जली है।।
आरती हनुमत के मन भावै।
राम कथा नित शंकर गावै।।
संतों की ये भीड़ लगी है।
जगमग जगमग ज्योत जली है।।