Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Apr, 2022 09:03 AM
अदा की गई अलविदा की नमाज शुक्रवार को विभिन्न मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की गई। नमाज के बाद मुल्क में अमन-शांति,
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Ramadan 2022: अदा की गई अलविदा की नमाज
शुक्रवार को विभिन्न मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की गई। नमाज के बाद मुल्क में अमन-शांति, तरक्की, आपसी सद्भाव, सुख-समृद्धि और भाईचारे की दुआ मांगी गई। अलविदा जुमा की नमाज पर मस्जिदों के निकट पुलिस सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। जामा मस्जिद में जुमा की नमाज शाही इमाम अहमद बुखारी ने अदा कराई। नमाज जुमा से पहले इमाम ने खुतबा करते हुए कहा कि केवल भूख और प्यास को रोकना ही रोजा नहीं है, बल्कि बुराइयों को त्यागना, नेक बनकर अल्लाह की इबादत करना ही असल रोजा है। रमजान का तीसरा और आखिरी असरा चल रहा है। जिसमें अल्लाह मोमिन की हर दुआ को कबूल करता है। अनुशासित ढंग से रमजान के रोजे रख कर और फिजूलखर्ची से बचकर अपनी कमाई का हिस्सा, गरीबों, यतीम और जरूरतमंदों की सेवा में खर्च करें। हालांकि दिल्ली की जामा मस्जिद में भी रोजेदारों की खासा रौनक देखने को मिल रही है। लगभग शाम 7.00 बजे रोजा इफ्तार का वक्त होता है। रोजा इफ्तार के वक्त से तकरीबन डेढ़ से दो घंटे पहले जामा मस्जिद के सहन में लोग इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं।
ये है आज का माह-ए-रमजान का समय
इफ्तार
6:55
सेहरी
4:18
रमजान की फजीलतें
अमीर-गरीब एक साथ दस्तरखाना पर बैठकर करते हैं इफ्तार: जामा मस्जिद में रोजा इफ्तार करने का एक अलग सुकून है यही वजह है कि जहां एक तरफ जामा मस्जिद में इफ्तार करने के लिए इलाके के मकामी रोज़ेदार पहुंचते हैं तो वहीं दूसरी तरफ दूरदराज के शहरों से भी लोग इफ्तार करने जामा मस्जिद आते हैं। कई लोग तो मुरादाबाद, अमरोहा और गाजियाबाद आदि शहरों से भी जामा मस्जिद में इफ्तार करने के लिए पहुंचते हैं। -सैय्यद नासिर जावेद
डायटिंग समझकर न रखें रोजा: रोजा अमीरों को बताता है कि भूख के समय गरीबों पर क्या गुजरती है। रोजा जहां एक इबादत है, वहीं अपने जिस्म को तंदुरुस्त रखने का इलाज भी है, जिस तरह लोग आजकल डायटिंग कर के खुद को स्वस्थ करने की कोशिश करते हैं। वैसे रोजे को डायटिंग समझकर नहीं रखना चाहिए बल्कि सिर्फ अल्लाह की इबादत समझकर रखना चाहिए। वरना रोजा कुबूल नहीं होगा। -इश्तियाक