Kundli Tv- यहां बना है एक अधूरा शिव मंदिर !

Edited By Jyoti,Updated: 17 Dec, 2018 12:44 PM

religious place of bhojeshwar temple

हम में से बहुत से ऐसे लोग होते हैं या यूं कहे कि लगभग सभी, जिन्हें रोज़ कुछ न कुछ नया जानने की इच्छा होती है।

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हम में से बहुत से ऐसे लोग होते हैं या यूं कहे कि लगभग सभी, जिन्हें रोज़ कुछ न कुछ नया जानने की इच्छा होती है। लेकिन अगर कोई कहानी या कोई किस्सा अधूरा रह जाए तो वो उत्सुकता आकर्षण में बदल जाती है। आज हम आपको कुछ ऐसा ही बताने जा रहे हैं, जिसका रहस्य अपने आप में ही अद्भुत है। हम बात कर रहें हैं, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर दूर भोजपर में स्थित एक अधूरे शिव मंदिर की। ये अद्भुत और विशाल शिव मंदिर भोजपुर की पहाड़ी पर बसा है, जिसे भोजेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज द्वारा किया गया था। मंदिर 115 लंबा, 82 फीट चौड़ा और 13 फीट उंचा है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां का विशाल शिवलिंग, अपने आप में अनूठा और बहुत विशाल आकार का है। बता दें कि भोजेश्वर मंदिर को उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता है। विश्व के सबसे बड़ा और प्राचीन, चिकने लाल बलुआ पाषाण के बना ये शिवलिंग एक ही पत्थर से बनाया गया है।
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मंदिर के गर्भगृह के विशाल शीर्ष स्तंभ पर देवी-देवताओं की जोड़ियां-शिव-पार्वती, ब्रह्मा-सरस्वती, राम-सीता और विष्णु-लक्ष्मी की स्थापित हैं। तो वहीं मंदिर के बाहरी दीवार पर यक्षों की प्रतिमा स्थापित हैं। इस मंदिर को देखते ही समझ आता है कि ये सिर्फ़ एक मंदिर ही नहीं, बल्कि विशेषताओं से भरपूर एक अनोखा भव्य मंदिर है। भोजेश्वर मंदिर के विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी। ऐसा मंदिर के निकट के पत्थरों पर बने मंदिर- योजना से संबद्ध नक्शों से पता चलता है। इस जगह की एक अद्भुत विशेषता यह भी है कि भोजेश्वर मंदिर के भूविन्यास, स्तंभ, शिखर, कलश व अन्य रेखांकन चट्टानों की सतह पर आशुलेख की तरह उत्कीर्ण किए हुए हैं।
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ये अद्भुत मंदिर अपने आप में एक अबूझा, अनसुलझा रहस्य समेटे है। भोजेश्वर मंदिर का निर्माण अधूरा हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि निर्माण कार्य एकदम से ही रोक दिया गया होगा। इसका निर्माण अधूरा क्यों रखा गया इस बात का इतिहास में कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है पर किंवदंती है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में होना था, परंतु छत का काम पूरा होने के पहले ही सुबह हो गई, इसलिए निर्माण अधूरा रह गया।
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विद्वानों का मानना है कि छत संभवतः निर्माण काल में पूरे भार के सही आकलन में गणितीय वास्तु दोष के कारण निर्माण-काल में ही ढह गई होगी। तब राजा भोज ने इस दोष के कारण इसे पुनर्निर्माण न कर मंदिर के निर्माण को ही रोक दिया होगा।
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