Edited By Lata,Updated: 29 Jul, 2018 03:54 PM
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के घुंचापाली गांव में माता चंडी का मंदिर बड़ा प्रसिद्ध है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां मनुष्यों के अलावा भालू भी माता के दर्शनों के लिए रोज़ आते हैं।
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छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के घुंचापाली गांव में माता चंडी का मंदिर बड़ा प्रसिद्ध है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां मनुष्यों के अलावा भालू भी माता के दर्शनों के लिए रोज़ आते हैं। भारी संख्या में लोग इस मंदिर में अपनी मनोकामना को लेकर के आते है। शाम के समय भालूओं को भी देखते हैं कि कैसे माता के सामने भालूओं का पूरा परिवार आता है।
इस मंदिर का इतिहास सदियों पूराना हैं। चंडी माता की प्रतिमा प्राकृतिक रुप में विराजमान है। लोगों का कहना हैं कि शाम की आरती के समय भालूओं का पूरा परिवार देवी के दर्शन के लिए आता हैं। बिना लोगों को नुकसान पहुचाएं भालू मंदिर में जाते हैं, माता की परिक्रमा करके प्रसाद लेकर आराम से वापिस जंगल की तरफ चले जाते हैं। लोग भालूओं की श्रद्धा को देखकर हैरान होते हैं। श्रद्धालुओं को कहना हैं कि भालू उन्हें कुछ नहीं कहते उनके साथ पूरी तरह दोस्ताना बर्ताव करते हैं जैसे कोई घर का ही पालतू जानवर हो।
गांव वालों का कहना है कि आजतक भालूओं ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। हांलिक जंगल में भालू दिख जाए तो वह इंसान को छोड़ते नहीं लेकिन मंदिर परिसर में वह किसी को कुछ नहीं कहते। लोग उन्हें जामवंत का परिवार भी कहते हैं।
माना जाता है कि चंडी माता का यह मंदिर पहले तंत्र साधना के लिए मशहूर था। सालों पहले यहां साधु-संतों का डेरा हुआ करता था। लेकिन अब एेसा नहीं हैं। यह जगह 1950-51 के आस-पास आम जनता के लिए सुरक्षित कर दी गई हैं। प्राकृतिक रूप से बनी माता की प्रतिमा साढ़े 23 फुट ऊंची दक्षिण मुखी हैं। जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है।
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