Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Aug, 2020 09:17 AM
श्री हरि विष्णु ने तीसरा अवतार वराह रूप में लिया, जिसमें उन्होंने धरती से हिरण्याक्ष नाम के राक्षस का आतंक समाप्त किया। इस अवतार में उनका मुंह शुकर यानि सुअर के समान था। उनके इस
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Varah Avatar Jayanti 2020: श्री हरि विष्णु ने तीसरा अवतार वराह रूप में लिया, जिसमें उन्होंने धरती से हिरण्याक्ष नाम के राक्षस का आतंक समाप्त किया। इस अवतार में उनका मुंह शुकर यानि सुअर के समान था। उनके इस अवतार की लीलाएं वराहपुराण में मिलती हैं। इसके अतिरिक्त मानव कल्याण के लिए बहुत कुछ भगवान ने अपने श्री मुख से बताया है। देवी-देवताओं को खुश करने के लिए हर रोज पूजा-पाठ किया जाता है। पूजा के दौरान जाने-अनजाने में कुछ गलतियां हो जाती हैं। जिस से पुण्य की बजाय पाप लगता है। विभिन्न शास्त्रों में भी इस बारे में विस्तार से बताया गया है। भगवान वराह इस बारे में क्या कहते हैं, आईए जानें-
मेहनत से कमाए धन की पूजा का पुण्य मिलता है। धोखे से जो पैसा प्राप्त किया जाता है, उसका पूजन स्वीकार नहीं किया जाता।
पूजा के समय नीले व काले रंग के वस्त्र पहनने वाले को पूजा का फल प्राप्त नहीं होता।
शव को स्पर्श करके, बिना शुद्ध हुए उपासना करने वाले कि पूजा भी स्वीकार्य नहीं होती।
संभोग करने के बाद बिना स्नान किए पूजा करने वाले को अपराध लगता है।
मन में किसी भी प्रकार का क्रोध लेकर पूजा नहीं करनी चाहिए।
अंधेरे में श्री स्वरूप का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
पूजा में घंटी-शंख आदि वाद्य यंत्रों का उपयोग करना चाहिए।
जिसके मन में किसी के प्रति छल-कपट हो उसकी पूजा स्वीकार नहीं होती।
पूजा के दौरान बेमतलब की बातें करने वाले व्यक्ति की पूजा असफल हो जाती है।
बिना हाथ-मुंह धोए दीपदान नहीं करना चाहिए।