Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Sep, 2023 07:18 AM
केरल के एक पादरी ने 41 दिनों के संयम का पालन करने और सबरीमला मंदिर में पूजा-अर्चना करने की योजना को लेकर उत्पन्न विवाद के बाद चर्च का अपना लाइसेंस लौटा दिया है। ‘एंग्लिकन
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तिरुवनंतपुरम (प.स.): केरल के एक पादरी ने 41 दिनों के संयम का पालन करने और सबरीमला मंदिर में पूजा-अर्चना करने की योजना को लेकर उत्पन्न विवाद के बाद चर्च का अपना लाइसेंस लौटा दिया है। ‘एंग्लिकन चर्च ऑफ इंडिया’ के पादरी आर. मनोज के.जी. इस महीने के अंत में तीर्थयात्रा पर इस मंदिर में जाने के लिए 41 दिनों का पारंपरिक ‘व्रतम’ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जब चर्च को (उनकी इस गतिविधि) इसकी जानकारी मिली, तो उसने कहा कि यह व्यवहार अस्वीकार्य है तथा उसने मुझसे स्पष्टीकरण मांगा कि मैंने क्यों उसके सिद्धांतों और नियमों का उल्लंघन किया।
उन्होंने कहा, ‘‘स्पष्टीकरण देने की बजाय मैंने पहचान पत्र और लाइसेंस लौटा दिए। जब मैं पादरी बना था, तब गिरिजाघर ने यह मुझे दिया था।’’ उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने जो कुछ किया वह ‘एंग्लिकन चर्च ऑफ इंडिया’ के सिद्धांत और नियमों के विरूद्ध है।
उन्होंने कहा कि उनका कृत्य चर्च के सिद्धांतों पर नहीं, बल्कि ‘ईश्वर’ के सिद्धांतों पर आधारित है। मनोज ने कहा, ‘‘ईश्वर ने जाति, वंश, धर्म और धार्मिक विश्वास से परे हटकर सभी से प्रेम करने को कहा है। दूसरे से प्रेम करने में उनकी गतिविधियों से जुड़ना भी शामिल है। इसलिए आप तय कर सकते हैं कि आपको गिरिजाघर के सिद्धांत को मानना है या ईश्वर के सिद्धांत को।’’ मनोज ने यह भी कहा कि लाइसेंस तो लौटा दिया है, लेकिन वह पादरी बने रहेंगे।