संसार की सभी महिलाएं अपने जीवन में पति का अखंड प्रेम चाहती हैं। किसी और की सांझेदारी की वे कल्पना तक करना पसंद नहीं करतीं। यह व्रत करवाचौथ के व्रत जैसा ही है। यह व्रत माता पार्वती ने किया
Saubhagya Sundari Fast 2020: संसार की सभी महिलाएं अपने जीवन में पति का अखंड प्रेम चाहती हैं। किसी और की सांझेदारी की वे कल्पना तक करना पसंद नहीं करतीं। यह व्रत करवाचौथ के व्रत जैसा ही है। यह व्रत माता पार्वती ने किया था। इसी कारण उन्हें भोले शंकर वर के रूप में प्राप्त हुए।

Saubhagya Sundari vrat katha: हिंदू धर्म में व्रत पूजा का खास महत्व है। भगवान शंकर एवं पार्वती को आदर्श दम्पति माना गया है। यह पर्व शिव पार्वती पूजन का है। दोनों के मध्य अटूट प्रेम है। माता पार्वती की दो सखियां थीं जिनका नाम जया एवं विजया था। एक दिन मुनि कन्याओं ने उन दोनों सखियों से पूछा कि तुम दोनों पार्वती के संग सदा रहती हो। आपको सब पता होगा कि उन्हें क्या प्रिय है। किस मंत्र कथा और उपाय से वह प्रसन्न होती हैं। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए पार्वती जी की सहेली जया बोली इस विषय में आपको सब बतलाती हूं।

Saubhagya Sundari vrat puja vidhi: सौभाग्य सुंदरी व्रत के दिन प्रात:काल सभी कामों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र आभूषणों को धारण करें। मंदिर में देवी पार्वती के लिए एक वेदि बनाएं फिर उसे सुंदर और सुगंधित पुष्पों से सजाएं। सर्वप्रथम अपने पितरों को नमन करें फिर गणेश जी व नवग्रह आदि का पूजन करें। हल्दी, कुमकुम और चंदन का लेप लगाएं। इसके बाद देवी का रात्रि जागरण करें।
अगले दिन सुबह उठकर स्नानादि से पवित्र हो अर्पित की हुई सामग्री सुहागिन स्त्रियों में बांट दें। इस प्रकार सौभाग्य सुंदरी व्रत को करने वाली स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान देवी मां से प्राप्त करती हैं।

Reason behind keeping Saubhagya Sundari Vrat: मान्यता है कि जो भी स्त्री इस प्रकार व्रत करती है उनके सुहाग की रक्षा माता पार्वती करती हैं। इस व्रत का इतना अधिक प्रभाव है कि व्रत को करने से दांपत्य के साथ मंगलीक दोष भी दूर होता है। इस व्रत को पति एवं पुत्र की लम्बी आयु के लिए भी किया जाता है। माता पार्वती ने यह व्रत किया था तभी उन्हें भोले शंकर वर के रूप में प्राप्त हुए। इसके बाद दुनिया में सर्वप्रथम पूजनीय गणेश एवं कार्तिकेय जैसे दो बेटे प्राप्त हुए।

Saubhagya Sundari Vrat 2020 Importance: शिव परिवार की पूजा से घर में धन एवं ऐश्वर्य की कमी नहीं होती। धन एवं अन्न के भंडार भरे रहते हैं। सौभाग्य सुंदरी व्रत के लिए फूलों की माला, फल, भोग के लिए लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लौंग तथा सोलह शृंगार की वस्तुएं, लाल साड़ी, चूड़ियां, बिंदी, कुमकुम, मेहंदी, आलता, पायल रखते हैं। सूखे मेवे, सात प्रकार के अनाज, जल, दूध, दही, रोली, चंदन, सिंदूर मेवे आदि। इसके बाद माता पार्वती को प्रणाम कर परिवार की मंगल कामना की प्रार्थना करें। पूजा समापन के बाद दक्षिणा देकर उद्यापन करें।
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