Edited By Jyoti,Updated: 03 Oct, 2018 04:38 PM
वास्तु में बहुत से देवी-देवताओं के बार में वर्णन किया गया है। आज हम आपको विष्णु भगवान से संबंधित कुछ बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। श्रीहरि के जिन रहस्य के बारे हम आपको बताने जा रहे हैँ
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वास्तु में बहुत से देवी-देवताओं के बार में वर्णन किया गया है। आज हम आपको विष्णु भगवान से संबंधित कुछ बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। श्रीहरि के जिन रहस्य के बारे हम आपको बताने जा रहे हैं, इसके बार में शायद किसी को पता नहीं होगा। वास्तुशास्त्र के अनुसार उनके शेषनाग पर विराजित शांत रूप के पीछे का क्या कारण है,इसका संबंध आम इंसान के जीवन से है।
पौराणिक ग्रथों में भगवान विष्णु के दो रूपों के बारे में वर्णन पढ़ने-सुनने को मिलता है। जिसमें से एक में नारायण शांत कोमल स्वभाव के लगते हैं। तो वहीं दूसरी ओर शेषनाग पर आसन लेकर विराजमान होते हैं। माना जाता है कि इसमें उनका चहरा कुछ अलग ही दिखाई पड़ता है। शेषनाग पर विराजित श्रीहरि को देखकर पहली बार में हर किसी के मन में यही विचार आता है कि सांप के ऊपर बैठकर कोई इतना शांत कैसे हो सकता है। तो आइए जानते हैं, विष्णु जी से संबंधित कुछ एेसी ही दिलचस्प बातें-
मान्यता है कि श्रीहरि के शेषनाग पर विराजमान होने के पीछे का राज़ ये है कि हर व्यक्ति का जीवन बहुत से कर्तव्य और जिम्मेदारियों से भरा हुआ होता है। इन सब में शामिल सबसे अहम शामिल परिवार, सामाजिक और आर्थिक जिम्मदारी होती है। जिन्हें पूरा करने के लिए उसकी कोशिशों के साथ कई मुसीबतों को सामना भी करना पड़ता है। जो शेषनाग की ही तरह बहुत डरावनी होती हैं और अनकों परेशानियां पैदा करती हैं।
भगवान विष्णु का शांत चहरा इंसान को ये ही प्ररित करता है कठिन समय में भी हमेशा हमें धैर्य के साथ काम लेना चाहिए और अपनी मुसीबतों के प्रति हमेशा शांत दृष्टिकोण रखना चाहिए। यही कारण है कि सांपों को राजा के ऊपर विराजित होते हुए भी श्रीहरि शांत स्वभाव के बने हुए हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार विष्णु भगवान के परम भक्त नारद उन्हें नारायण के नाम से पुकारते थे, जिसके बाद से उन्हें अनंत नारायण, लक्ष्मी नारायण और शेष नारायण कहने लगे।
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