10 जून को सूर्य ग्रहण के दिन शनैश्चर अमावस्या, रहें सावधान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Jun, 2021 07:23 AM

shani dev saturn is first solar eclipse on amavasya 10 june

23 मई, 2021 से शनि की चाल-ढाल कुछ बदल-सी गई है। ज्योतिषीय भाषा में इसे शनि की वक्री चाल कहते हैं जो पूरे 141 दिन अर्थात 11 अक्टूबर तक मकर राशि में इसी अवस्था में रहेंगे।

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Shani Dev Saturn Is First Solar Eclipse On Amavasya 10 June: 23 मई, 2021 से शनि की चाल-ढाल कुछ बदल-सी गई है। ज्योतिषीय भाषा में इसे शनि की वक्री चाल कहते हैं जो पूरे 141 दिन अर्थात 11 अक्टूबर तक मकर राशि में इसी अवस्था में रहेंगे। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार जब भी कोई बड़ा ग्रह राशि परिवर्तन करता है, वक्री या मार्गी या अतिचारी होता है या किसी के साथ युति बनाता है, विश्व में बड़े परिवर्तन होते हैं। जैसे गुरु व शनि 2019 के अंत से एक साथ रहे तो अप्रत्याशित महामारी आ गई। चंद्र ग्रहण और शनि के वक्री होने से कई तरह के चक्रवातों से नुकसान हुआ। जन आंदोलनों ने जोर पकड़ा। कई अप्रत्याशित राजनीतिक परिवर्तन हुए। 

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Solar Eclipse 2021: शनिदेव की वक्री गति आरंभ होने के एक माह के अंदर चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों निर्माण होना अत्यधिक प्रभाव रखने वाला है। 26 मई को खग्रास चंद्र ग्रहण का निर्माण हुआ है और अब 10 जूून को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण का निर्माण होना है। शनि की वक्री गति और दो ग्रहणों का बनना विशेष खगोलीय घटनाओं में आते हैं। इस दौरान विभिन्न राशियों पर गहन ज्योतिषीय प्रभाव के साथ बड़े भौगोलिक घटनाक्रम उपस्थित हो सकते हैं। 10 जून को सूर्य ग्रहण के दिन शनैश्चर अमावस्या है। 

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Shani Jayanti 2021: शनि जयंती के रूप में विश्व भर में इसे मनाया जाता है। शनि जयंती को सूर्य ग्रहण होने से यह ग्रहण शनिदेव के प्रभाव को बढ़ाने वाला है। कुंडली में शनि बलवान और योगकारक होने पर सूर्य ग्रहण के उपरांत लाभ की स्थिति निर्माण होगी। इससे पूर्व सभी को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

इन नियमों का करें पालन मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में तिल का दीया जलाने से भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
काले उड़द जल में प्रवाहित करें तथा भिखारियों को भी दान करें।

Shani Amavasya 2021 Upay: भैरव साधना, मंत्र-जप आदि करें।

गोरज मुहूर्त में चींटियों को तिल चौली डालने से भी लाभ होता है।  

सुंदरकांड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है। इसका नियमित पाठ करें।

भगवान शंकर पर काले तिल व कच्चा दूध नित्य-प्रतिदिन चढ़ाना चाहिए। 

यदि शिवलिंग पीपल वृक्ष के नीचे हो तो अति उत्तम है।

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