Shani Pradosh Vrat: कब मनाया जाएगा साल 2024 का पहला शनि प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Apr, 2024 07:47 AM

shani pradosh vrat

इस साल यानी 2024 का पहला शनि प्रदोष व्रत 6 अप्रैल शनिवार को है। पंचांग के अनुसार यह व्रत हर महीने में दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष के नाम से

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Shani Pradosh Vrat: इस साल यानी 2024 का पहला शनि प्रदोष व्रत 6 अप्रैल शनिवार को है। पंचांग के अनुसार यह व्रत हर महीने में दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान से शिव जी की पूजा करने और व्रत रखने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही शिव जी की विशेष कृपा बनी रहती है। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इस दिन शनि देव की भी पूजा की जाती है। शिव के साथ शनि देव की पूजा करने से कुंडली से शनि दोष दूर होता है। आइए जानते हैं कि शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

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Shani Pradosh Vrat 2024 auspicious time शनि प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त
इस बार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 06 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 19 मिनट से होगी। इसका समापन 07 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत के दिन संध्याकाल में शिव की पूजा करने का विधान है। ऐसे में 06 अप्रैल को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

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Importance of Shani Pradosh शनि प्रदोष का महत्व
ज्योतिषियों के अनुसार, शनि प्रदोष के दिन जातक को रुद्राभिषेक का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन रुद्राभिषेक का पाठ करने से शिव के साथ माता पार्वती की कृपा बनी रहती है। शनि प्रदोष के दिन पूरे विधि-विधान से शिव जी की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। साथ ही मन की हर मुराद पूरी होती है।

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Shani Pradosh Vrat Puja Method शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि
शनि प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
फिर भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और शिव मंदिर की साफ-सफाई करें।
संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें।  
शिवलिंग का जल अभिषेक करें और प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें।
फिर शिवलिंग पर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग आदि अर्पित करें।
इसके बाद शिव जी के मंत्रों का जाप करें।
अंत में शिव जी की आरती करें।  

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