"प्रीति योग" में मनाया जाएगा शनि प्रदोष व्रत!

Edited By Jyoti,Updated: 07 May, 2021 05:27 PM

shani pradosha in preet yog

शनिदेव को प्रसन्न करने का खास मौका 8 मई को आ रहा है और उस दिन शनि  त्रयोदशी भी है। यानि शनि प्रदोष व्रत भी है।  इस दिन पूजा करने से शनिदेव विशेष फल प्रदान करते है। शास्त्रों के अनुसार

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शनिदेव को प्रसन्न करने का खास मौका 8 मई को आ रहा है और उस दिन शनि  त्रयोदशी भी है। यानि शनि प्रदोष व्रत भी है।  इस दिन पूजा करने से शनिदेव विशेष फल प्रदान करते है। शास्त्रों के अनुसार, त्रयोदशी भगवान शिव को समर्पित होती है। ऐसे में प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। हर महीने दो प्रदोष व्रत आते हैं। पहला शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है। प्रदोष जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष, मंगलवार को आता है तो उसे भौम प्रदोष और शनिवार के दिन आता है तब उसे शनि प्रदोष कहते हैं।   मई महीने का पहला प्रदोष व्रत 08 मई, दिन शनिवार को रखा जाएगा। शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है।

8 मई के दिन प्रीति योग भी बन रहा है इसलिए प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाएगा। प्रीति योग को अधिकांश शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए यह शुभ मुहूर्त में गिना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रीति योग आपसी प्रेम को बढ़ाता है। अक्सर मेल-मिलाप बढ़ाने, प्रेम विवाह करने तथा अपने रूठे मित्रों एवं संबंधियों को मनाने के लिए प्रीति योग में ही प्रयास करने से सफलता मिलती है। इसके अलावा झगड़े निपटाने या समझौता करने के लिए भी यह योग शुभ होता है। इस योग में किए गए कार्य से मान सम्मान की प्राप्ति होती है। शनि प्रदोष व्रत के दिन प्रीति योग तो रहेगा ही,  साथ ही चंद्रमा मीन राशि में व सूर्य मेष राशि में रहेंगे। इस दिन सूर्य नक्षत्र भरणी रहेगा।

मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। स्कंद पुराण में भी इस व्रत का उल्लेख मिलता है। आस्था और समर्पण के साथ इस व्रत का पालन करने वाले भक्तों को स्वास्थ्य, धन और संतोष के साथ इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस व्रत को बेहद पवित्र माना गया है। यह भक्तों को अनंत आनंद और आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करता है। मान्यता है कि इस व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से शिव बेहद प्रसन्न हो जाते हैं तथा व्रती को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति के साथ-साथ पुत्र प्राप्ति का भी वर देते हैं।

प्रदोष व्रत की पूजा कब करनी चाहिए: 
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है। 

त्रयोदशी तिथि और पूजा मुहूर्त: 
वैशाख त्रयोदशी तिथि 08 मई 2021 शाम 05 बजकर 20 मिनट से आरंभ होगी और  09 मई 2021 शाम 07 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। 

पूजा समय- 08 मई शाम 07 बजकर रात 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा और  पूजा की कुल अवधि 02 घंटे 07 मिनट रहेगी।

प्रदोष व्रत की पूजा क्योंकि प्रदोष काल में की जाती है इसलिए प्रदोष व्रत 08 मई को किया जाएगा।

गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com

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