Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 May, 2024 10:01 AM
यह संसार बहुत बड़ा मायाजाल है जहां हम सभी दिखावटी लोगों से घिरे रहते हैं। हममें से कोई भी ऐसा नहीं हैं जो अपना जीवन यथार्थवादी ढंग
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Smile please: यह संसार बहुत बड़ा मायाजाल है जहां हम सभी दिखावटी लोगों से घिरे रहते हैं। हममें से कोई भी ऐसा नहीं हैं जो अपना जीवन यथार्थवादी ढंग से जी रहा हो। इसका कारण है हम सभी के भीतर छुपी अतिशयोक्ति की बुरी आदत या हर छोटी बात को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करने का स्वभाव। अपने आप से पूछें कि हम दिन भर में किसी भी बात को बिना मिर्च-मसाला डाले कितना पेश कर पाते हैं?
चाहे किसी नए सिनेमा की कहानी को सुनाते वक्त या अपनी उपलब्धियों के बारे में किसी को बताते हुए या फिर किसी के व्यक्तिगत जीवन के रहस्यों को सांझा करते समय, इन सभी स्थितियों में हम कितना मसाला भर-भर कर सामने वाले को रोचक कथा सुनाते हैं? क्योंकि तथ्यों को गुणा करके, उनको और बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करना तो बड़ा आसान काम है जिसमें अधिकांश लोगों को मास्टरी हासिल है और समय के साथ-साथ फिर यह स्वाभाविक रूप से हमारी आदत के अनुसार हमसे होता रहता है।पर एक प्रश्न यहां अवश्य मन में उत्पन्न होता है कि तथ्यों को खींच-खींच कर लम्बा करना इतना भी क्या लुभावना है? कारण जो भी हो, परंतु हकीकत तो यही है कि जब हम बातों को बेवजह बढ़ाचढ़ा कर प्रस्तुत करते हैं तब वह हमारे एवं अन्यों के मन में बड़ी उलझन पैदा कर देती हैं, परिणामस्वरूप फिर हमारे रिश्ते तनावपूर्ण हो जाते हैं। अत: हमें इस बात को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि जब-जब हम किसी बात में अतिश्योक्ति करते हैं, तब हम वास्तविकता को विकृत कर देते हैं और हमारे इस कर्म को धोखे के रूप में देखा जाता है। इस कारण हमारे जीवन में अविश्वास पैदा होता हैं और अंतत: हम दूसरों की घृणा का पात्र बन जाते हैं।
इसीलिए कहा है कि ‘एक झूठ को छुपाने के लिए और 100 झूठ का सहारा लेना पड़ता है’। अब इस आदत को जिसे कई लोग एक हानिरहित आदत समझते हैं, इसका इलाज करने का सहज उपाय क्या है? क्या इतने वर्षों से पड़ा हुआ अतिरंजना का संस्कार इतनी सरलता से निकल सकता हैं? अनुभव कहता है कि कभी-कभी या प्रासंगिक ढंग से लोगों को हंसाने के लिए या तंग वातावरण को हल्का करने के लिए अतिरंजना करना ठीक है,परन्तु हद से ज्यादा इस चीज को करना वह फिर हानिकारक सिद्ध हो सकता है। इसलिए एक बात सदा याद रखें कि हमें अपनी हर बात सिद्ध करने के लिए उसे बढ़ा-चढ़ाकर बोलने की आवश्यकता नहीं है, इसकी बजाय हमें यथार्थवादी होने का अभ्यास करना चाहिए। अत: आज से ईमानदार और विश्वसनीय बनने पर जोर दें ताकि आप सभी के सम्मान का पात्र बन जाएं।