आपके आस-पास फैली नफ़रत को मिटाना है तो पल्ले बांध लो श्री कृष्ण की ये बात

Edited By Jyoti,Updated: 28 May, 2020 06:37 PM

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आज कल जहां देखो लोग एक दूसरे से नफ़रत करने में लगे हैं, इस चक्कर में जो लोग एक दूसरे से प्यार की भावना रखते हैं उन्हें भी न तो किसी से प्यार मिलता है न ही वो किसी को प्यार दे पाते हैं।

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आज कल जहां देखो लोग एक दूसरे से नफ़रत करने में लगे हैं, इस चक्कर में जो लोग एक दूसरे से प्यार की भावना रखते हैं उन्हें भी न तो किसी से प्यार मिलता है न ही वो किसी को प्यार दे पाते हैं। तो ऐसे में क्या करना चाहिए? ये सवाल हर किसी को परेशान करता है। तो चलिए आज हम आपको आपकी इस समस्या का समाधान बताते हैं, जो है आपके प्यारे कान्हा के पास। जी हां, श्री कृष्ण महाभारत के दौरान अर्जुन को ऐसे कई गीता के उपदेश दिए जो उसके लिए विजयी साबित हुए। तो चलिए जानते हैं श्री कृष्ण से श्रीमद भगवद गीता में बताए गई ऐसी खास बातें, जिन्हें लोग मानना शुरू कर देंगे तो आस पास की नफ़रत दूर हो जाएगी। 

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श्रीमद भगवद गीता के 15वें अध्याय में श्रीकृष्ण ने कहा है- 
संपूर्ण संसार में समस्त जीव मेरे अंश हैं। वे 6 इंद्रियों से घोर संघर्ष कर रहे हैं, जिसमें मन भी सम्मिलित है। इसकी आगे स्पष्टीकरण करते हुए श्री कृष्ण कहते हैं- विनम्र पुरुष अपने वास्तविक ज्ञान के कारण सभी को समान दृष्टि से देखता है इसका अर्थात ये हुआ कि जब हम किसी भी भूखे की भूख मिटाते में अपना ज़रा सा भी योगदान देते हैं तो हम उसके साथ साथ भगवान की भूख भी मिटाते हैं। 

आपने सुना होगा अक्सर कहा जाता है कि प्रत्येक प्राणी में ईश्वर है। फिर भेद कैसा?  इसलिए कभी किसी भी जीव को प्रताड़ित नहीं करना चाहिए, क्योंकि किसी मानव को कष्ट देना ईश्वर को कष्ट पहुंचाने जैसा है। गीता में समानता का यह स्वर सभी जगह मिलता है। छठें अध्याय की ही बात लें, इसमें भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- जब मनुष्य निष्कपट हितैषियों, प्रिय मित्रों, तटस्थों, मध्यस्थों, ईर्ष्यालुओं, शत्रुओं तथा मित्रों को समान भाव से देखता है, तो वह और भी उन्नत माना जाता है।
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इससे स्पष्ट है कि हमारे सांसारिक संबंध कैसे भी हों, पर हमारे व्यवहार में समानता का भाव होना चाहिए। इसी से हम अपने आस-पास फैला नफ़रत को दूर कर सकते हैं।  
 

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