Kundli Tv- जब एक राजा को बीच मझधार में छोड़ गई अप्सरा

Edited By Jyoti,Updated: 03 Nov, 2018 01:49 PM

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हिंदू धर्म एक एेसा धर्म है जिसमें अनगिनत पौराणिक कथाएं पढ़ने-सुनने को मिलती है। इन कथाओं आदि से इंसान को हिंदू धर्म के देवी-देवताओं, राजा-महाराजओं, यौद्धाओं और अप्सराओं का वर्णन मिलता है।

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हिंदू धर्म एक एेसा धर्म है जिसमें अनगिनत पौराणिक कथाएं पढ़ने-सुनने को मिलती है। इन कथाओं आदि से इंसान को हिंदू धर्म के देवी-देवताओं, राजा-महाराजओं, यौद्धाओं और अप्सराओं का वर्णन मिलता है। तो आज हम आपके लिए हिंदू धर्म की एक बहुत ही दिलचस्प पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जो एक अप्सरा के शादीशुदा जीवन से संबंध रखती है। इस अप्सरा का नाम उवर्शी था। तो आइए जानते हैं उवर्शी नामक इस अप्सरा की कहानी जिसे जानकर शायद आपके होश उड़ जाएंगे। 
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एक बार की बात है उवर्शी नाम की अप्सरा जो स्वर्ग लोक की सबसे सुंदर अप्सरा थी, इंद्र के दरबार में बैठे-बैठे ऊब गई। वो कुछ अलग करना चाहती थी जिससे कि उसकी लाइफ में कुछ बदलाव आ सके। इसलिए वो पृथ्वी लोक पर उतर आई। उसे स्वर्ग के राजसी जीवन के बजाए पृथ्वी का सुख-दुख, उतार-चढ़ाव भरा जीवन ज्यादा अच्छा लगने लगा।
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जब वो पृथ्वी से वापस स्वर्ग की तरफ लौट रही थीं तो उसी समय एक असुर ने उन्हें पकड़ लिया। तब एक राजा ने उनको उस असुर के चंगुल से बचाया जिसके बाद वे दोनों एक दूसरे के प्रेम में पड़ गए। कहा जाता है कि उवर्शी को असुर से बचाने वाले राजा चंद्रवंश के पहले राजा थे जिनका नाम पुरुरवा था और वे बुध और इला के पुत्र थे। वे एक बहुत ही पराक्रमी योद्धा माने जाते थे और उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान कई बार देवराज इंद्र की मदद भी की थी। दरअसल हुआ एेसा था कि जब असुर उवर्शी को परेशान कर रहा था तब राजा वहां से गुजर रहे थे और उन्होंने ये सब होते हुए देख लिया था। कहा जाता है कि राजा पुरुरवा को गलत चीज़ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होती थी। इसलिए अगले ही पल उन्होंने उवर्शी के साथ गलत करने वाले असुर का वध कर के उर्वशी को उससे मुक्त करा दिया।
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कहा जाता है कि इसी दौरान राजा पुरुरवा और अप्सरा उर्वशी का शरीर एक दूसरे से स्पर्श हो गया। पहली बार उर्वशी को किसी नश्वर मनुष्य ने छुआ था इस स्पर्श ने उर्वशी का मन मोह लिया और उर्वशी की सुंदरता देख राजा भी उर्वशी पर आकर्षित हो गए लेकिन उस समय उवर्शी का स्वर्ग वापस लौटना ज़रूरी था।
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फिर एक दिन इंद्र देव ने एक देव लोक में नाटक का आयोजन करवाया जिसकी जिम्मेदारी ऋषि भरत को दी गई थी जिसमें उर्वशी देवी लक्ष्मी की भूमिका मे थीं और उन्हें अपने पति श्री हरि विष्णु का नाम लेना था लेकिन वे पुरुरवा के ख्यालों में ऐसी खोई थी कि उसने भगवान विष्णु के नाम की जगह पुरुरवा का नाम ले लिया। इससे ऋषि भरत क्रोधित हो गए थे और उर्वशी को श्राप देते हुए कहा कि तुम एक नश्वर मनुष्य के प्रेम मे अपनी सुध-बुध खो बैठी हो इसलिए तुम्हें पृथ्वी पर जा कर उसके साथ ही रहना होगा

इसके बाद उर्वशी पृथ्वी पर आ गईं, उन्हें स्वर्ग छोड़ने का दुख तो था परंतु पुरुरवा को पाने की बेहद खुशी भी थी। उर्वशी ने पुरुरवा को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया। पर उवर्शी ने पुरुरवा के सामने अपनी एक शर्त रखी कि तुम मुझे कभी नग्न अवस्था में नहीं देखोगे।
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अगर ऐसा हुआ तो मैं वापस स्वर्ग लौट जाऊंगी। पुरुरवा ने उसकी शर्त मान ली और शर्त के अनुसार पुरुरवा और उर्वशी रात के अंधेरे में ही एक दूसरे के करीब आते थे।दूसरी तरफ़ इन दोनों के प्रेम को देख देवता ईर्ष्या से भर गए थे क्योंकि उर्वशी स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा थी, जिसके बिना स्वर्ग सुना सा हो गया था।
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इसलिए उसे स्वर्ग में वापस लाने के लिए एक दिन देवताओं ने एक साजिश रची। रात के अंधरे में संभोग के दौरान जब पुरुरवा और उर्वशी दोनों नग्न अवस्था में थे तभी देवताओं द्वारा आकाश मे बहुत ज़ोर की बिजली चमकाई गई। जिसके कारण कुछ समय के लिए आकाश में प्रकाश हो गया और पुरुरवा ने उर्वशी को नग्न अवस्था में देख लिया। इससे उर्वशी की पुरुरवा को दी गई शर्त टूट गई और उर्वशी को वापस स्वर्ग जाना पड़ा। 
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