Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jul, 2023 08:59 AM
एक बार स्वामी कृष्ण बोधाश्रम भ्रमण करते हुए किसी गांव में पहुंच गए। वह गांव के बाहर गंगा तट पर एक मंदिर में रुक गए। वहां सुबह-शाम गंगा स्नान
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Swami Krishna Bodhashram story: एक बार स्वामी कृष्ण बोधाश्रम भ्रमण करते हुए किसी गांव में पहुंच गए। वह गांव के बाहर गंगा तट पर एक मंदिर में रुक गए। वहां सुबह-शाम गंगा स्नान करते और दिन भर साधना में लगे रहते। गांव के बुजुर्गों को पता चला कि मंदिर में पधारे एक संत तीन दिनों से निराहार हैं।
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एक बुजुर्ग ने स्वामी जी के पास पहुंचकर कहा, ‘‘महाराज जी, आज आप हमारे यहां भोजन करने की कृपा करें।’’
स्वामी जी ने उत्तर दिया, ‘हम उसी के घर में भोजन ग्रहण करते हैं, जिस घर का एक भी सदस्य तंबाकू, शराब तथा मांस का सेवन न करता हो। ज्यादातर परिवार मास-मदिरा का सेवन तो नहीं करते थे लेकिन हुक्का-बीड़ी का चलन तो हर घर में था।
गांव का एक भी घर ऐसा नहीं निकला जिसके यहां बना भोजन स्वामी जी ग्रहण कर पाते। स्वामी जी कई दिन बिना भोजन के रहे। एक दिन गांव के बुजुर्गों ने बैठक की।
उनके मुखिया ने कहा, ‘‘इस गांव में एक भी घर ऐसा नहीं है जिसका कोई सदस्य नशा न करता हो। कितनी शर्म की बात है कि एक संत कई दिनों से भूखे हैं।’’
इसके बाद एक-एक करके कुछ बुजुर्ग उठे और उन्होंने संकल्प लिया कि आज से वह हुक्का-बीड़ी नहीं पिएंगे। कुछ ने शराब और मांस छोड़ने का संकल्प लिया।
उसी दिन शाम को कुछ लोग स्वामी जी के पास पहुंचे। वे हुक्के और शराब की बोतलें भी अपने साथ ले गए। इन सभी ने हाथ में गंगाजल लेकर मांस-मदिरा और तंबाकू का सेवन न करने की शपथ ली। तब स्वामी जी ने आशीर्वाद देते हुए एक घर की भिक्षा ग्रहण की। स्वामी कृष्णबोधाश्रम जी महाराज ने बिना दुराग्रह के भोजन ग्रहण करने के नियम की शर्त पर सैंकड़ों गांवों को व्यसनों से मुक्ति दिलाई।