Swami Vivekananda: खतरों से डरो मत

Edited By Jyoti,Updated: 31 Jul, 2021 11:18 AM

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स्वामी विवेकानंद बचपन से ही निडर थे, जब वह 8 साल के थे तभी से एक मित्र के यहां खेलने जाया करते थे। उसके घर में एक पेड़ था। एक दिन वह उस पेड़ को पकड़ कर झूल रहे थे। मित्र के दादा जी पहुंचे। उन्हें डर

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स्वामी विवेकानंद बचपन से ही निडर थे, जब वह 8 साल के थे तभी से एक मित्र के यहां खेलने जाया करते थे। उसके घर में एक पेड़ था। एक दिन वह उस पेड़ को पकड़ कर झूल रहे थे। मित्र के दादा जी पहुंचे। उन्हें डर था कि कहीं नरेन्द्र गिर न जाएं, इसलिए उन्होंने समझाते हुए कहा, नरेन्द्र तुम इस पेड़ से दूर रहो, क्योंकि इस पेड़ पर एक दैत्य रहता है।

नरेन्द्र को अचरज हुआ। उसने दादा जी से दैत्य के बारे में और भी कुछ बताने का आग्रह किया। दादा जी बोले, वह पेड़ पर चढऩे वालों की गर्दन तोड़ देता है। नरेन्द्र बिना कुछ कहे आगे बढ़ गए। दादा जी मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गए। उन्हें लगा कि बच्चा डर गया है।

पर जैसे ही वे कुछ आगे बढ़े नरेन्द्र पुन: पेड़ पर चढ़ गए और डाल पर झूलने लगे। मित्र जोर से चीखा, तुमने दादा जी की बात नहीं सुनी। नरेन्द्र जोर से हंसे और बोले, मित्र खतरों से डरो मत। तुम भी कितने भोले हो। सिर्फ इसलिए कि किसी ने तुमसे कुछ कहा है उस पर यकीन मत करो। खुद सोचो अगर यह बात सच होती तो मेरी गर्दन कब की टूट चुकी होती।
 

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